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आंध्र प्रदेश सरकार ने विशाखापत्तनम को देश का नया आईटी हब बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।  कैबिनेट की बैठक में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को 21.16 एकड़ जमीन सिर्फ 99 पैसे में लीज पर देने का निर्णय लिया गया। ये अब देशभर में बहस का विषय बन गया है। इस फैसले पर जहां एक तरफ आलोचना हो रही है। वहीं सरकार इसे दीर्घकालिक निवेश और रोजगार सृजन की दृष्टि से बढ़िया सौदा बता रही है।

राज्य के IT मंत्री नारा लोकेश नायडू ने घोषणा की है कि TCS इस जमीन पर 1370 करोड़ रुपये का निवेश करते हुए एक बड़ा डेवलपमेंट सेंटर बनाएगी। यह केंद्र 12,000 युवाओं को रोजगार देगा और विशाखापत्तनम को एक आधुनिक IT सिटी के रूप में स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

लोकेश का कहना है कि ये सिर्फ जमीन देने का मामला नहीं है, बल्कि युवाओं के भविष्य में निवेश है। आने वाले समय में यही कदम राज्य की आर्थिक ताकत बनेंगे।

क्यों उठ रहे हैं सवाल?

विपक्ष और आलोचक इस फैसले को ‘निजी कंपनी को सरकारी संपत्ति की रियायती सौदेबाज़ी’ बता रहे हैं। 21 एकड़ जमीन अगर बाजार दर पर दी जाती, तो करोड़ों रुपये सरकारी खजाने में आते। मगर सरकार ने इसे मात्र 99 पैसे में 99 साल की लीज पर देकर बड़ी रियायत दी है।

हालांकि, TCS को गुजरात में भी साणंद क्षेत्र में सांकेतिक दर पर जमीन मिली थी और वहां कंपनी ने एक दशक में हजारों नौकरियां दीं। सरकार का तर्क है कि ऐसी सौदेबाज़ी में ‘सीधा मुनाफा’ नहीं बल्कि ‘लॉन्ग टर्म पब्लिक बेनिफिट’ देखा जाना चाहिए।
 

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