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Up Kiran, Digital Desk: मध्य प्रदेश में डाक विभाग के तीन कर्मचारियों को भ्रष्टाचार के एक मामले में CBI की विशेष अदालत ने दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है। इन कर्मचारियों पर सरकारी खजाने को ₹1.21 करोड़ से अधिक का नुकसान पहुंचाने का आरोप था। यह फैसला गुरुवार को सुनाया गया।

सजा का विवरण: CBI के अनुसार, बुधवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने बिना एलएसजी उप डाकघर, जिला सागर के तत्कालीन उप डाकपाल विशाल कुमार अहिरवार को पांच साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही उन पर ₹39,000 का जुर्माना भी लगाया गया है।

वहीं, विशाल कुमार अहिरवार के दो सहकर्मियों, हेमंत सिंह और रानू नमदेव, जो दोनों उसी शाखा में उप डाकपाल के पद पर कार्यरत थे, उन्हें चार-चार साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। दोनों पर ₹7,000 का जुर्माना भी लगाया गया है।

कैसे हुआ था घोटाला?

यह मामला 17 नवंबर, 2022 को CBI द्वारा विशाल कुमार अहिरवार और अन्य के खिलाफ दर्ज किया गया था। आरोपों के अनुसार, 1 जनवरी, 2020 से 5 जुलाई, 2021 के बीच, इन आरोपी अधिकारियों ने डाकघर में अपने पद का दुरुपयोग किया था। जांच में खुलासा हुआ कि उन्होंने कई डाक बचत खातों में हेरफेर किया और जाली पासबुक जारी कीं, जिससे सरकारी धन का गबन किया गया।

CBI के एक बयान में कहा गया है, "आरोपियों ने सरकार के खजाने को ₹1,21,82,921 का अवैध नुकसान पहुंचाया और खुद को corresponding wrongful gain हुआ।"

न्यायपालिका का कड़ा रुख:

जांच के बाद, 29 दिसंबर, 2023 को जबलपुर के CBI मामलों के विशेष न्यायाधीश के समक्ष आरोप पत्र (chargesheet) दायर किया गया था। विस्तृत परीक्षण के बाद, अदालत ने तीनों को भ्रष्टाचार और संबंधित आरोपों में दोषी पाया। अधिकारियों ने कहा कि यह फैसला न्यायपालिका द्वारा सार्वजनिक धन के संरक्षक के भ्रष्टाचार के मामलों को कितनी गंभीरता से लिया जाता है, इस पर प्रकाश डालता है।

हाल के महीनों में, CBI ने डाक और बैंकिंग क्षेत्रों में वित्तीय धोखाधड़ी के खिलाफ अपनी कार्रवाई तेज कर दी है, क्योंकि ये सीधे तौर पर नागरिकों की बचत को प्रभावित करते हैं।

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