_1720248296.png)
Up Kiran, Digital Desk: राजस्थान में वर्षों पुराने भंवरी देवी हत्याकांड का मामला फिर से सुर्खियों में है, लेकिन इस बार चर्चा हत्या या जांच को लेकर नहीं, बल्कि उस अन्याय की है जो पीड़िता के परिवार के साथ अब तक जारी है। हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद मृतका के वारिसों को ना तो पेंशन मिली है और ना ही सेवा संबंधी लाभ।
21 महीने पहले आया था कोर्ट का आदेश, अब भी इंतजार में परिवार
राजस्थान हाईकोर्ट की एकलपीठ ने जनवरी 2024 में यह आदेश दिया था कि मृतक एएनएम भंवरी देवी के सभी लंबित सेवानिवृत्त लाभ और पेंशन की राशि चार महीने के भीतर उनके परिवार को दी जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने बकाया रकम पर ब्याज जोड़ने के भी निर्देश दिए थे। लेकिन लगभग दो साल बीत जाने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
कौन जिम्मेदार? अब हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
न्यायमूर्ति रेखा बोराणा की पीठ ने अब इस लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाते हुए चिकित्सा सचिव, जोधपुर के सीएमएचओ, पेंशन विभाग और एलआईसी समेत कई अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। सभी से यह पूछा गया है कि आखिर कोर्ट के आदेशों का पालन अब तक क्यों नहीं हुआ।
पुराना बहाना: "मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं है"
जोधपुर सीएमएचओ कार्यालय ने भंवरी देवी को मृत मानने से इनकार करते हुए मृत्यु प्रमाण पत्र की गैर-मौजूदगी का हवाला दिया है। जबकि सच्चाई यह है कि उसी कार्यालय ने 16 जनवरी 2012 को भंवरी को मृत मानते हुए सेवा से अलग करने का आदेश जारी किया था। इसके अलावा उनके पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति भी मिल चुकी है।
सेवा पुस्तिका की मांग तक नहीं की गई
परिवार की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने कोर्ट में बताया कि जोधपुर सीएमएचओ कार्यालय ने आज तक भंवरी देवी की मूल सेवा पुस्तिका अधीनस्थ न्यायालय से प्राप्त करने की कोई कोशिश नहीं की। ऐसे में यह साफ हो जाता है कि न केवल आदेश की अनदेखी हो रही है, बल्कि पूरे मामले में गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाया गया है।
अदालत ने दिखाई सख्ती, अधिकारियों पर बढ़ा दबाव
हाईकोर्ट ने अब चिकित्सा सचिव गायत्री राठौड़, निदेशक (अराजपत्रित) राकेश शर्मा, सीएमएचओ डॉ. सुरेंद्र सिंह शेखावत सहित कई विभागों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि आदेश की अवहेलना को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।
सालों से न्याय का इंतजार कर रहा है परिवार
1 सितंबर 2011 को हुई भंवरी देवी की हत्या ने राज्य भर में हलचल मचा दी थी। लेकिन 14 साल बीतने के बाद भी उनका परिवार केवल न्याय ही नहीं, बल्कि अपने वैधानिक अधिकारों के लिए भी संघर्ष कर रहा है।