
Up Kiran, Digital Desk: यह नाम सुनते ही अक्सर हमारे दिमाग में एक उलझा हुआ टैक्स सिस्टम और महंगी होती चीज़ों की तस्वीर घूमने लगती है. बहुत से लोगों को लगता है कि जीएसटी लगने के बाद से हर चीज़ पर बहुत ज़्यादा टैक्स देना पड़ रहा है. लेकिन क्या यह पूरी सच्चाई है? हाल ही में, देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस पर एक बहुत बड़ी और ज़रूरी जानकारी दी जो जीएसटी को लेकर आपकी कई गलतफहमियों को दूर कर सकती ਹੈ.
तो क्या है GST का असली सच: वित्त मंत्री ने साफ-साफ बताया कि जीएसटी के दायरे में आने वाले 99% सामान या तो ज़ीरो, 5% या फिर 18% टैक्स स्लैब में आते हैं. इसका मतलब यह है कि हमारी रोज़मर्रा की ज़रूरत की लगभग सभी चीज़ें इन कम टैक्स वाली कैटेगरी में रखी गई ہیں, ताकि आम आदमी की जेब पर ज़्यादा बोझ न पड़े.
0% GST: बहुत सी बुनियादी ज़रूरत की चीज़ें जैसे खुला अनाज, दूध, दही, आटा, और सब्ज़ियां इस कैटेगरी में हैं, जिन पर कोई जीएसटी नहीं लगता.
5% GST: चीनी, चाय, पैकेटबंद पनीर, और रोज़मर्रा की ज़रूरत की कई अन्य चीज़ें इस सबसे कम टैक्स वाले स्लैब में आती
18% GST: इसके बाद की ज़्यादातर चीज़ें और सेवाएं इस स्लैब में आती ہی
तो फिर वो भारी-भरकम 28% टैक्स किस पर लगता है?
अब सवाल उठता है कि वो 28% वाला टैक्स स्लैब किसके लिए ہے? वित्त मंत्री के मुताबिक, यह सिर्फ 1% चीज़ों पर लागू होता है. इन्हें 'सिन गुड्स' (Sin Goods) या लग्जरी सामान कहा जाता है.
आसान भाषा में कहें तो, ये वो चीज़ें हैं जो आम आदमी की ज़रूरत नहीं हैं, बल्कि शौकिया तौर पर या फिर सेहत के लिए हानिकारक मानी जाती हैं. जैसे:
लग्जरी गाड़ियां
तंबाकू उत्पाद (सिगरेट, गुटखा)
महंगे एयरेटेड ड्रिंक्स (कोल्ड ड्रिंक्स)
पान मसाला
सरकार का कहना है कि जीएसटी बनाते समय इस बात का पूरा ध्यान रखा गया था कि आम आदमी पर महंगाई का बोझ न पड़े और ज़रूरी सामान सस्ता रहे, जबकि लग्जरी और हानिकारक चीज़ों पर ज़्यादा टैक्स लगाया जाए.
तो अगली बार जब आप जीएसटी के बारे में सुनें, तो याद रखें कि आपकी ज़रूरत की ज़्यादातर चीज़ें भारी-भरकम टैक्स के दायरे से बाहर हैं. सरकार का यह बयान जीएसटी को लेकर फैले कई भ्रमों को दूर करने की एक कोशिश है.