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Up Kiran, Digital Desk: जब भी हम किसी देश के झंडे को देखते हैं, तो हमें उसके रंग और डिजाइन ही नजर आते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि किसी झंडे की कहानी सैकड़ों साल पुरानी भी हो सकती है? जी हां, डेनमार्क का राष्ट्रीय ध्वज ‘डैनब्रोग’ न सिर्फ एक प्रतीक है, बल्कि दुनिया का सबसे पुराना झंडा भी है, जो आज भी आधिकारिक रूप से इस्तेमाल में है।
एक युद्ध, एक झंडा और एक कहानी जो बनी इतिहास
1219 में यूरोप में धार्मिक युद्धों का दौर चल रहा था। डेनमार्क की सेना एस्टोनिया के लिंडानिस क्षेत्र में एक बड़ी लड़ाई लड़ रही थी। हालात डेनिश फौज के लिए काफी गंभीर थे और हार तय मानी जा रही थी। लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ जिसे आज भी डेनमार्क के लोग चमत्कार मानते हैं—आसमान से एक लाल झंडा गिरा जिस पर सफेद क्रॉस बना था।
सैनिकों ने इसे भगवान का संकेत माना, जोश में आकर पलटवार किया और युद्ध जीत लिया। यही झंडा बाद में डैनब्रोग कहलाया और धीरे-धीरे देश की पहचान बन गया।
साधारण डिजाइन, लेकिन गहरा संदेश
डैनब्रोग का डिज़ाइन बहुत ही सिंपल है—लाल पृष्ठभूमि और उस पर सफेद क्रॉस। लेकिन इसके रंगों के पीछे एक गहरा मतलब छिपा है।
सफेद क्रॉस: ईसाई धर्म, शांति और विश्वास का प्रतीक
लाल रंग: साहस, बलिदान और शक्ति का प्रतीक
यही स्टाइल आगे चलकर 'नॉर्डिक क्रॉस' के नाम से मशहूर हुई और स्वीडन, नॉर्वे, फिनलैंड जैसे देशों ने भी इसी पैटर्न पर अपने झंडे बनाए।