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Up Kiran, Digital Desk: भारत, जहां एक ओर विविधताओं से भरपूर संस्कृति और परंपराओं का संगम है, वहीं यहां के लोग विभिन्न मान्यताओं और रीति-रिवाजों के प्रति बेहद आस्थावान हैं। इस विविधता में एक अजीबोगरीब परंपरा भी शामिल है, जिसे सुनकर कोई भी हैरान हो सकता है। कर्नाटक के एक छोटे से गांव, बेक्कलले में बिल्लियों की पूजा की जाती है, और यह परंपरा यहां के निवासियों द्वारा सदियों से निभाई जा रही है।

बिल्ली को देवी मंगम्मा का रूप माना जाता है

बेक्कलले गांव कर्नाटक के मांड्या जिले से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और यहां की मान्यता के अनुसार बिल्लियों को देवी का रूप माना जाता है। इस गांव का नाम भी कन्नड़ शब्द "बेक्कू" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "बिल्ली"। इस गांव के लोग मानते हैं कि बिल्लियां देवी मंगम्मा का अवतार हैं, और इसलिए वे इन्हें विशेष सम्मान देते हैं।

1000 साल पुरानी परंपरा

इस परंपरा की शुरुआत लगभग 1000 साल पहले हुई थी, जब देवी मंगम्मा ने बिल्लियों का रूप धारण किया और गांव में आकर वहां के लोगों को बुरी शक्तियों से बचाया। यह घटना गांव के कुएं के पास हुई, और तब से लेकर आज तक, गांववाले बिल्लियों को देवी का रूप मानकर पूजा करते आ रहे हैं।

हिंदू धर्म में बिल्लियों का दृष्टिकोण और यहां का अलग अनुभव

हिंदू धर्म में आमतौर पर बिल्लियों को अशुभ माना जाता है। अक्सर लोग मानते हैं कि अगर बिल्ली रास्ता काट जाए तो वह अशुभ संकेत है और कई बार लोग इस कारण रुक जाते हैं। लेकिन बेक्कलले गांव में बिल्लियां न केवल शुभ मानी जाती हैं, बल्कि उन्हें देवी के रूप में पूजा जाता है। यह विश्वास गांव के लोगों में गहरी आस्था का प्रतीक है, और उनकी नजर में बिल्लियां एक सकारात्मक शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।