img

Up kiran,Digital Desk : क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप वोट देने जाते हैं, तो पर्ची पर सिर्फ चुनाव चिन्ह ही क्यों होता है, उम्मीदवार का नाम क्यों नहीं? और अगर आपको कोई भी उम्मीदवार पसंद न आए, तो आपके पास 'NOTA' (इनमें से कोई नहीं) का बटन दबाने का विकल्प क्यों नहीं होता?

इन्हीं सवालों को लेकर अब उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों को लेकर एक बड़ी लड़ाई हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच तक पहुँच गई है। एक वकील ने जनहित याचिका, यानी जनता के हित से जुड़ी एक अर्जी दायर की है, जिसमें दो बड़ी मांगें की गई हैं:

  1. पंचायत चुनाव के बैलेट पेपर पर चुनाव चिन्ह के साथ उम्मीदवार का नाम भी छापा जाए।
  2. वोटिंग में NOTA का विकल्प भी शामिल किया जाए।

तो आखिर यह पूरा मामला है क्या?

याचिका दायर करने वाले वकील सुनील कुमार मौर्य का कहना है कि मौजूदा व्यवस्था में गाँव के मतदाता के साथ भेदभाव हो रहा है।

  • नाम न होने से होती है गड़बड़ी: जब बैलेट पेपर पर सिर्फ चिन्ह होता है, तो अक्सर वोटर कन्फ्यूज हो जाते हैं। एक जैसे नाम वाले या एक ही इलाके के कई उम्मीदवारों के बीच सिर्फ चिन्ह के आधार पर सही व्यक्ति को चुनना मुश्किल हो जाता है।
  • NOTA न होना अधिकार का हनन: सबसे बड़ी दलील यह है कि जब शहर के निकाय चुनावों (जैसे नगर पालिका) में राज्य चुनाव आयोग NOTA का विकल्प देता है, तो फिर गाँव के पंचायत चुनावों में यह अधिकार क्यों छीन लिया जाता है? यह तो सीधे-सीधे संविधान के 'समानता के अधिकार' का उल्लंघन है। शहर और गाँव के वोटर में ऐसा भेदभाव क्यों?

अब सवाल यह उठता है कि चुनाव आयोग ऐसा क्यों कर रहा है?

इस याचिका में एक RTI (सूचना का अधिकार) के जवाब का भी जिक्र है, जो इस मामले को और भी दिलचस्प बना देता है। जब चुनाव आयोग से पूछा गया कि वह ऐसा क्यों नहीं करता, तो आयोग ने जवाब दिया:

"पंचायत चुनाव में लगभग 55-60 करोड़ बैलेट पेपर छापने पड़ते हैं और हमारे पास समय बहुत कम होता है। इसलिए हर पर्ची पर उम्मीदवार का नाम और NOTA का कॉलम छापना संभव नहीं है।"

"प्रशासनिक मुश्किल के लिए मौलिक अधिकार नहीं छीन सकते"

याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग की इस दलील को ही चुनौती दी है। उनका कहना है कि "प्रशासनिक परेशानी" या "काम ज़्यादा है" यह कहकर आप किसी के मौलिक और कानूनी अधिकारों को नहीं छीन सकते।

अब यह मामला शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए लगा है, जहाँ यह तय होगा कि क्या इस बार गाँव के मतदाता को भी अपने पसंदीदा उम्मीदवार का नाम बैलेट पेपर पर देखने को मिलेगा और नापसंद होने पर NOTA दबाने کا हक मिलेगा या नहीं।