img

Up kiran,Digital Desk : छत्तीसगढ़ के गौरेला में एक परिवार की खुशियां उस वक्त मातम में बदल गईं, जब एक गर्भवती महिला और उसके नवजात बच्चे ने इलाज में कथित देरी के चलते दम तोड़ दिया. जोगीसार गांव की रहने वाली 30 साल की अनिता बाई अपने चौथे बच्चे को जन्म देने के लिए अस्पताल गई थीं, लेकिन वहां से वापस लौटीं तो घर में एक साथ दो अर्थियां उठीं. इस दर्दनाक घटना के बाद पूरा मामला सवालों के घेरे में आ गया है.

एक पति का दर्द और गंभीर आरोप

मृतका के पति शंकर यादव का रो-रोकर बुरा हाल है. उन्होंने जिला अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है:

  • 29 नवंबर को सुबह 10 बजे जब पत्नी अनिता को प्रसव पीड़ा शुरू हुई, तो वे उसे एंबुलेंस से जिला अस्पताल लेकर पहुंचे.
  • लेकिन सुबह से लेकर शाम हो गई, न तो कोई डॉक्टर ठीक से देखने आया और न ही ऑपरेशन किया गया.
  • इस बीच, अनिता की हालत लगातार बिगड़ती चली गई.
  • शंकर यादव ने यह भी आरोप लगाया कि इलाज के दौरान उनसे दवाओं और दूसरे खर्चों के नाम पर पैसे मांगे गए. यहां तक कि एक नर्स को 4,000 रुपये देने के बाद भी उनकी पत्नी को सही इलाज नहीं मिला.

जब शाम को अनिता की हालत बहुत ज्यादा बिगड़ गई, तब जाकर डॉक्टरों ने उसे बिलासपुर के सिम्स अस्पताल के लिए रेफर किया, लेकिन तब तक शायद बहुत देर हो चुकी थी. रास्ते में ही अनिता और उसके अजन्मे बच्चे ने दम तोड़ दिया.

मितानिन ने भी उठाए सवाल

गांव की मितानिन (स्वास्थ्य कार्यकर्ता) क्रांति पैकरा, जो शुरू से अनिता की देखभाल कर रही थीं, उन्होंने भी अस्पताल के कामकाज पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि अनिता को भर्ती तो कर लिया गया था, लेकिन पूरे दिन उसकी सही तरीके से देखभाल नहीं की गई. अगर समय पर डॉक्टर देख लेते, तो शायद आज दो जानें बच सकती थीं.

अस्पताल ने झाड़ा पल्ला, परिवार को ठहराया जिम्मेदार

वहीं, जिला स्वास्थ्य अधिकारी की दलील कुछ और ही है. उनका कहना है कि अनिता को तीन दिन पहले ही अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी गई थी, क्योंकि उसकी हालत को देखते हुए जोखिम था. लेकिन परिवार वालों ने उसे भर्ती नहीं कराया. अधिकारी के मुताबिक, जब अनिता को अस्पताल लाया गया, तब तक उसकी हालत गंभीर हो चुकी थी. डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका.

दो जान चली गईं, और पीछे रह गए हैं दो अलग-अलग दावे और कई अनसुलझे सवाल. एक तरफ एक बेबस पति है, जो अस्पताल पर पैसे लेने और लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहा है, तो दूसरी तरफ अस्पताल है, जो पूरी गलती परिवार की बता रहा है. सच क्या है, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन इस खींचतान में एक हंसता-खेलता परिवार उजड़ गया.