
राजनीति में वक्त की अहमियत सबसे ज़्यादा होती है। आज किसी की बारी है तो कल किसी और की। ऐसे में जब मंच संसद का हो और मौके खास हों, तो नेता किसी भी चीज़ को राजनीतिक हथियार में बदलने से नहीं चूकते। कभी बैग पर लिखा हुआ एक शब्द भी एक बड़ा सियासी बयान बन सकता है। ऐसा ही हुआ जब कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी और भाजपा की सांसद बांसुरी स्वराज ने अपने-अपने बैग से राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की।
पहली बार संसद में और बैग से बड़ा संदेश
हाल ही में संसद में पहली बार पहुंचीं भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज जब 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक में शामिल होने आईं, तो उनके कंधे से लटकता बैग मीडिया की नजरों में आ गया। बैग पर मोटे अक्षरों में लिखा था: "NATIONAL HERALD KI LOOT" (नेशनल हेराल्ड की लूट)। यह स्पष्ट था कि बांसुरी ने यह संदेश सोच-समझकर दिया था।
जब मीडिया ने उनसे पूछा कि वह क्या संदेश देना चाहती हैं, तो उन्होंने सीधा हमला कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार पर बोल दिया। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) की चार्जशीट से कांग्रेस की "नीयत और नीयति" दोनों ही उजागर हो गई हैं।
बांसुरी स्वराज का गांधी परिवार पर सीधा आरोप
बांसुरी ने कहा कि यह पहली बार है जब लोकतंत्र के चौथे स्तंभ—मीडिया—को भी लूटने की कोशिश हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस "सेवा" की आड़ में सार्वजनिक संस्थाओं को निजी संपत्ति में बदल देती है। उन्होंने दावा किया कि 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति केवल 50 लाख रुपये में यंग इंडिया नाम की कंपनी को सौंप दी गई, जो कि नॉन-प्रॉफिट कंपनी है और जिसमें से 76% स्वामित्व गांधी परिवार के पास है।
उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस और उसके नेतृत्व को न केवल देश की जनता, बल्कि कोर्ट के सामने भी जवाब देना होगा। जब कांग्रेस की ओर से यह कहा गया कि ईडी की चार्जशीट राजनीति से प्रेरित है, तो बांसुरी ने पलटवार करते हुए कहा, "चोरी भी और सीनाजोरी भी।"
प्रियंका गांधी का फिलिस्तीन वाला बैग भी बना था खबर
बांसुरी का यह बैग वाला सियासी हमला पहली बार नहीं है जब किसी नेता ने बैग को संदेश का माध्यम बनाया हो। इससे पहले कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी दिसंबर 2023 में संसद में एक बैग लेकर आई थीं जिस पर लिखा था—"PALESTINE"। यह उस समय का संदेश था जब इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष बढ़ रहा था और प्रियंका ने फिलिस्तीन के समर्थन में यह प्रतीकात्मक कदम उठाया था।
इसके बाद भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि प्रियंका को बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की चिंता क्यों नहीं है? अगले ही दिन प्रियंका एक नया बैग लेकर आईं, जिस पर लिखा था—"Standing with Hindus and Christians of Bangladesh"।
राजनीति में प्रतीकों की ताकत
यह घटनाएं बताती हैं कि राजनीति में प्रतीकात्मकता कितनी महत्वपूर्ण हो चुकी है। अब सिर्फ भाषण या प्रेस कॉन्फ्रेंस से नहीं, बल्कि कपड़े, बैग और यहां तक कि सोशल मीडिया प्रोफाइल से भी राजनीतिक संदेश दिए जा रहे हैं। इन तरीकों से नेता ना सिर्फ अपने पक्ष को मजबूती से रखते हैं, बल्कि विरोधियों पर निशाना भी साधते हैं—और वह भी बेहद रचनात्मक ढंग से।
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