भारत और अमेरिका के रिश्तों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दोस्ती की हमेशा चर्चा होती थी। दोनों नेता जिस गर्मजोशी से मिलते थे, वह अक्सर सुर्खियों में रहता था। लेकिन एक दौर ऐसा भी आया, जब इन मुलाकाatos पर अचानक 'ब्रेक' लग गया और दोनों के बीच एक अजीब सी 'डिप्लोमैटिक दूरी' देखी गई। चलिए, समझते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ था।
जब टल गई बड़ी मुलाकातें: यह बात उस समय की है जब दो बड़े अंतरराष्ट्रीय मंच सजने वाले थे - आसियान शिखर सम्मेलन (ASEAN Summit) और शर्म अल-शेख में होने वाला जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP27)। उम्मीद की जा रही थी कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप इन मंचों पर जरूर मिलेंगे। लेकिन हैरानी की बात यह थी कि पीएम मोदी ने आसियान सम्मेलन में शामिल न होने का फैसला किया और उनकी जगह उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत का प्रतिनिधित्व किया।
यही नहीं, शर्म अल-शेख सम्मेलन से भी दोनों नेताओं ने दूरी बनाए रखी। यह थोड़ा अटपटा इसलिए था क्योंकि ट्रंप की छवि हमेशा एक ऐसे नेता की रही है जो किसी भी बड़े वैश्विक मंच पर जाने का मौका नहीं छोड़ते थे।
क्या थी इस दूरी की वजह: राजनयिक गलियारों में इस बात को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई गईं। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना था कि यह कोई सोची-समझी रणनीति नहीं, बल्कि केवल दोनों नेताओं के व्यस्त कार्यक्रम और घरेलू प्राथमिकताओं का नतीजा था। अमेरिका में उस समय मध्यावधि चुनाव का माहौल था और ट्रंप का पूरा ध्यान घरेलू राजनीति पर था। वहीं, भारत भी अपनी कूटनीतिक व्यस्तताओं में लगा हुआ था।
हालांकि, कुछ लोगों का यह भी मानना था कि कुछ वैश्विक मुद्दों पर दोनों देशों के बीच मतभेद बढ़ रहे थे, जिसका असर शायद इन मुलाकातों पर भी दिख रहा था। लेकिन आधिकारिक तौर पर कभी भी किसी खटास की बात सामने नहीं आई।
यह diplomatic दूरी एक 'अजीब चरण' की तरह थी, जहां न तो कोई खुलकर बोल रहा था और न ही पुरानी वाली गर्मजोशी दिख रही थी। यह दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय रिश्ते कितने जटिल होते हैं, जहां दोस्ती की तस्वीरों के पीछे भी कई परतें छिपी होती हैं।
                    _829108739_100x75.png)
_300443291_100x75.png)
_1526448774_100x75.png)

_220789143_100x75.png)