
Up Kiran, Digital Desk: हिमाचल प्रदेश, जिसे अक्सर 'देवभूमि' कहा जाता है, इन दिनों प्रकृति के प्रकोप का सामना कर रहा है। पिछले कुछ घंटों की मूसलाधार बारिश ने राज्य में भयंकर तबाही मचाई है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इस विनाशकारी स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि "कुछ घंटों की मूसलाधार बारिश ने तबाही के गहरे निशान छोड़ दिए हैं।"
मॉनसून की शुरुआत से ही हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और भूस्खलन की घटनाएँ देखी जा रही हैं। नदियों और नालों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है, जिससे कई पुल बह गए हैं, सड़कें टूट गई हैं और कई इलाकों में बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है। लोगों के घर-बार और खेत-खलिहान भी पानी की चपेट में आ गए हैं, जिससे भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपनी टिप्पणी में राज्य की मौजूदा स्थिति की गंभीरता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इतनी कम अवधि में हुई बारिश ने इतनी बड़ी तबाही मचा दी है, जो अभूतपूर्व है। उन्होंने प्रभावित इलाकों का दौरा करने और राहत कार्यों का जायजा लेने की बात कही।
तबाही के प्रमुख पहलू:
भूस्खलन और बादल फटना: पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ी हैं, कई जगहों पर बादल फटने की ख़बरें भी आई हैं, जिससे अचानक बाढ़ आ गई।
सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त: भारी बारिश के कारण कई राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग अवरुद्ध हो गए हैं, जिससे कनेक्टिविटी टूट गई है। कई पुल बह गए हैं, जिससे यातायात और राहत कार्यों में बाधा आ रही है।
जनजीवन अस्त-व्यस्त: कई गांवों का संपर्क टूट गया है, लोग अपने घरों में फंसे हुए हैं। बिजली और पानी की आपूर्ति भी प्रभावित हुई है।
कृषि को नुकसान: खेतों में पानी भर गया है, जिससे फसलों को भारी नुकसान पहुँचा है।
राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन टीमें प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है और आवश्यक सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। हालांकि, व्यापक क्षति को देखते हुए यह एक लंबी और कठिन चुनौती होगी।
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