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आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 17 जून 2025 को स्पष्ट रूप से कहा कि पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले ही भाग लेगी और किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी। यह घोषणा पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्‍यसभा सांसद संजय सिंह ने पटना में एक धरने के दौरान प्रेस से बातचीत करते हुए की थी, जिसमें कहा गया कि AAP पूरी ताकत के साथ बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी  ।

AAP ने अपनी रणनीति का नाम "बिहार में भी केजरीवाल" रखा है। पार्टी का मानना है कि दिल्ली में शुरू की गई सार्वजनिक सेवाओं और शिक्षा–स्वास्थ्य में सुधार की पहल को बिहार में भी दोहराया जा सकता है। AAP ने इसके लिए राज्य के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में संगठन मजबूत करने की योजना बनाई है और बूथ स्तर पर समितियां गठित कर रही है  ।

केजरीवाल ने साफ कहा कि पूर्व में लोकसभा चुनाव तक ही INDIA ब्लॉक से गठबंधन था, लेकिन उसके बाद हर राज्य में AAP अकेले चुनाव लड़ रही है—हरियाणा, दिल्ली और अब बिहार में भी  । इस गठबंधन बहिष्कार के पीछे एक प्रमुख कारण कांग्रेस द्वारा गुजरात में AAP की सीट पर उम्मीदवार उतारना बताया गया, जिसे AAP ने “गद्दारी” माना  ।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि AAP का स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ना राष्ट्रव्यापी विरोधी ध्रुव का फूट देखकर हो सकता है, क्योंकि इससे RJD–कांग्रेस गठबंधन में वोट बंटाव हो सकता है। इससे अंततः NDA को फायदा हो सकता है, खासकर जब AIMIM और जन-सराज पार्टी जैसी नई ताकतें भी चुनाव मैदान में उतर रही हैं  ।

AAP का गुजरात–गोवा–बिहार जैसे राज्यों में विस्तार उद्देश्य 2029 लोकसभा चुनावों में मजबूत राष्ट्रीय उपस्थिति स्थापित करने का है। हालांकि बिहार का राजनीतिक परिदृश्य जाति-आधारित और क्षेत्रीय रूप से जटिल है, और इस चुनाव में नया संसर्ग भी विपक्षी वोट को विभाजित कर सकता है  ।

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