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Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने एक बड़ा और साहसिक फैसला लिया है। पूर्वी चंपारण ज़िले की मुस्लिम बहुल ढाका विधानसभा सीट से पार्टी ने हिंदू राजपूत नेता राणा रणजीत सिंह को मैदान में उतारा है।
यह फैसला सिर्फ एक उम्मीदवार की घोषणा नहीं है, बल्कि ओवैसी की पार्टी की नई सोच और रणनीति की तरफ इशारा करता है — जहां धार्मिक पहचान से ऊपर उठकर सामाजिक समावेश की बात की जा रही है।
नंगे पाँव पहुंचे उम्मीदवार, माथे पर टीका और सिर पर नमाज़ टोपी
नामांकन के दिन राणा रणजीत सिंह का अंदाज़ लोगों की नजरों में छा गया। वे नंगे पाँव, सिर पर टोपी और माथे पर तिलक लगाए पहुंचे। यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
जब पत्रकारों ने इस अंदाज़ का मतलब पूछा तो उन्होंने कहा कि मैं 'जय श्री राम' और 'I Love Mohammad' दोनों में विश्वास रखता हूँ।
उनका यह बयान धार्मिक सह-अस्तित्व का संदेश देता है और AIMIM के बदले चेहरे को सामने लाता है।
कौन हैं राणा रणजीत सिंह?
राणा रणजीत सिंह का ताल्लुक एक राजनीतिक परिवार से है। उनके पिता सीताराम सिंह सांसद और मंत्री रह चुके हैं। वहीं, उनके भाई राणा रणधीर सिंह, भाजपा के विधायक हैं।
इतिहास में कट्टर हिंदू राष्ट्रवादी छवि रखने वाले रणजीत सिंह का AIMIM से जुड़ना सबको हैरान कर रहा है। लेकिन जानकार इसे AIMIM की इमेज को बदलने का कदम मानते हैं — जो सिर्फ मुसलमानों की पार्टी नहीं, बल्कि सभी तबकों की आवाज़ बनना चाहती है।