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Up Kiran, Digital Desk: विशाखापट्टनम की प्रतिष्ठित GITAM डीम्ड यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा की गौरवगाथा सुनाई। उन्होंने बताया कि कैसे भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है।

सोमनाथ ने गर्व से बताया कि कैसे हमने हाल ही में चंद्रयान-3 मिशन के साथ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रचा, और सूर्य के रहस्यों को जानने के लिए आदित्य-L1 को भी सफलतापूर्वक लॉन्च किया। उन्होंने यह भी बताया कि भारत का महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम 'गगनयान' भी तेजी से आगे बढ़ रहा है, जो भविष्य में भारतीयों को अंतरिक्ष में ले जाएगा।

अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की प्रगति' विषय पर बोलते हुए, डॉ. सोमनाथ ने समझाया कि कैसे भारत ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा बिल्कुल शून्य से शुरू की थी – न कोई तकनीक थी, न पर्याप्त संसाधन। लेकिन अपनी 'किफायती इंजीनियरिंग' (frugal engineering) और स्वदेशी क्षमताओं के दम पर, हमने न केवल अपनी क्षमताएं विकसित कीं, बल्कि आज हम अंतरिक्ष की दुनिया में एक अग्रणी स्थान पर खड़े हैं। यह हमारी दृढ़ता और नवाचार का प्रमाण है।

ISRO अध्यक्ष ने भविष्य की योजनाओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भविष्य में भारत 'स्पेस एक्स' (SpaceX) की मदद से अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रहा है। साथ ही, अंतरिक्ष परिवहन के लिए पूरी तरह से पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान (Reusable Launch Vehicle - RLV) पर भी काम चल रहा है, जिससे अंतरिक्ष यात्राएं और अधिक किफायती और सुलभ बन सकेंगी। 

उन्होंने निजी क्षेत्र की बढ़ती भूमिका पर विशेष जोर दिया और कहा कि कई भारतीय स्टार्टअप अंतरिक्ष से संबंधित उत्पाद और सेवाएं विकसित करने में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं, जो इस क्षेत्र के विकास को नई गति दे रहे हैं।

डॉ. सोमनाथ ने युवा पीढ़ी का आह्वान करते हुए कहा कि वे अंतरिक्ष क्षेत्र में मौजूद असीमित अवसरों को पहचानें और राष्ट्र के विकास के लिए चुनौतियों को स्वीकार करें। उन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि उनका योगदान ही भारत को अंतरिक्ष में और ऊँचाई पर ले जाएगा।

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