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शनिवार को आई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते टूटने के बाद पाकिस्तान के स्वास्थ्य अफसरों ने देश में दवाओं की आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए "आपातकालीन तैयारी" शुरू कर दी है। यह कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित करने के भारत के फैसले के प्रत्युत्तर में इस्लामाबाद द्वारा नई दिल्ली के साथ सभी तरह के व्यापार पर रोक लगाने के बाद उठाया गया है। प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक सहयोगी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) द्वारा किए गए इस हमले में ज्यादातर पर्यटक समेत 26 लोगों की जान चली गई थी जो 2019 के पुलवामा हमले के बाद घाटी में सबसे बड़ा हमला था।

जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार भारत के साथ व्यापारिक गतिविधियां रुकने के बाद पाकिस्तान में दवाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए तत्काल कदम उठाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य अफसरों ने देश की दवा आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित रखने के लिए आपातकालीन योजनाओं को सक्रिय कर दिया है। पाकिस्तान के ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटी (DRAP) ने इस बात की पुष्टि की है कि भले ही दवा क्षेत्र पर व्यापार प्रतिबंध के असर को लेकर कोई औपचारिक अधिसूचना जारी नहीं की गई है मगर तैयारियां पहले से ही जारी हैं। DRAP के एक उच्च अधिकारी ने कहा "2019 के संकट के बाद से ही हमने ऐसी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। अब हम अपनी दवाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं।"

वर्तमान में पाकिस्तान अपनी फार्मास्युटिकल जरूरतों के 30 से 40 प्रतिशत कच्चे माल के लिए भारत पर निर्भर है जिसमें एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स (API) और कई तरह के आधुनिक चिकित्सीय उत्पाद शामिल हैं। इस आपूर्ति श्रृंखला में बाधा आने के बाद DRAP अब चीन रूस और कई यूरोपीय देशों से वैकल्पिक स्रोत तलाश रहा है ताकि एंटी-रेबीज वैक्सीन एंटी-स्नेक वेनम कैंसर थेरेपी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी और अन्य महत्वपूर्ण जैविक उत्पादों जैसी जरूरी चिकित्सा आपूर्ति को बनाए रखा जा सके।

दवा संकट का मंडरा रहा है खतरा

हालांकि DRAP की तैयारियों ने कुछ हद तक राहत दी है मगर उद्योग के अंदरूनी सूत्रों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई तो दवाओं की कमी हो सकती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा विनियमन और समन्वय मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया "पाकिस्तान अपने फार्मास्युटिकल कच्चे माल का लगभग 30%-40% भारत से आयात करता है। हम भारत से तैयार उत्पाद खासकर कैंसर रोधी दवाएं जैविक उत्पाद टीके और सीरा विशेष रूप से एंटी-रेबीज वैक्सीन और एंटी-स्नेक वेनम भी आयात करते हैं।" स्वास्थ्य मंत्रालय को अभी तक फार्मास्युटिकल आयात की स्थिति स्पष्ट करने वाला कोई औपचारिक निर्देश नहीं मिला है जबकि सरकार का व्यापक व्यापार निलंबन अभी भी लागू है।

दवा उद्योग को डर है कि लंबे समय तक व्यापार में व्यवधान आने से जीवन रक्षक दवाओं की गंभीर कमी हो सकती है। अफगानिस्तान ईरान दुबई और पूर्वी सीमा के माध्यम से पाकिस्तान में तस्करी की जाने वाली दवाओं का एक मजबूत काला बाजार होने से स्थिति और भी जटिल हो जाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि ये रास्ते आपूर्ति के अंतर को भरने में मदद कर सकते हैं मगर वे गुणवत्ता या लगातार उपलब्धता की कोई गारंटी नहीं देते हैं।

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