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Up Kiran, Digital Desk: ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्याय का कारक ग्रह माना जाता है, लेकिन जब यह ग्रह साढ़ेसाती के रूप में किसी राशि पर आता है तो व्यक्ति के जीवन में चुनौतियाँ बढ़ जाती हैं। साढ़ेसाती कुल मिलाकर सात साल छह महीने यानी लगभग ढाई-ढाई साल के तीन चरणों में होती है। वर्तमान समय में मेष, मीन और कुंभ राशि इस प्रभाव से गुजर रही हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, पहला चरण सिर पर बोझ और आर्थिक तंगी बढ़ाने वाला होता है, जबकि दूसरा चरण सबसे कठिन दौर लेकर आता है। तीसरे चरण में संवादों व विवादों से बचने की सलाह दी जाती है।
2027 में मेष राशि के लिए कठिनाई बढ़ेगी
3 जून 2027 को शनि के मेष राशि में प्रवेश करते ही इस राशि के लोगों पर साढ़ेसाती का दूसरा और सबसे चुनौतीपूर्ण चरण शुरू होगा। इसके साथ ही मीन राशि अंतिम चरण में प्रवेश करेगी और वृषभ राशि पर पहला चरण शुरू होगा।
दूसरा चरण क्यों होता है सबसे कष्टकारी?
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि साढ़ेसाती का दूसरा चरण व्यक्ति की सहनशक्ति और मानसिक मजबूती की परीक्षा लेता है।
इस समय व्यावसायिक और पारिवारिक जीवन दोनों में उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं।
धन-संपत्ति के मामलों में हानि और आर्थिक दबाव का खतरा रहता है।
रिश्तेदारों और मित्रों के साथ मतभेद बढ़ सकते हैं।
मेहनत का पूरा फल मिलने में देर हो सकती है, जिससे मानसिक तनाव बढ़ सकता है।
निवारण के उपाय
धार्मिक आस्था और आचरण के माध्यम से साढ़ेसाती के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है। ज्योतिषियों की मान्यता है कि—
प्रत्येक शनिवार भगवान शनि की पूजा करें और शनि चालीसा का पाठ करें।
हनुमान चालीसा का नियमित पाठ लाभकारी माना जाता है।
ज्योतिषीय परामर्श के अनुसार नीलम रत्न धारण करें।
दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में घोड़े की नाल से बनी लोहे की अंगूठी पहनना शुभ माना जाता है।
शनिवार को भोजन, कपड़े या अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान ज़रूर करें।
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