img

Up Kiran, Digital Desk: भारत की राजनीति में कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो केवल विरोध या समर्थन तक सीमित नहीं रहतीं बल्कि बड़ी तस्वीर की ओर इशारा करती हैं। पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद हुए जवाबी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने ऐसा ही एक मोड़ पेश किया है और इस बार चर्चा में हैं कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेता: शशि थरूर और आनंद शर्मा।

शशि थरूर की चुप्पी टूटी – मगर किसके पक्ष में

पहलगाम हमले के बाद जब पूरा देश गुस्से और शोक में डूबा था तब कांग्रेस की तरफ़ से तीखी आलोचना की उम्मीद की जा रही थी। मगर शशि थरूर ने उलट सुर पकड़ा। वे सार्वजनिक रूप से मोदी सरकार के रणनीतिक जवाब की तारीफ करते नज़र आए। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने उन्हें “इशारों में” सतर्क किया मगर थरूर ने अपनी बात को सार्वजनिक तौर पर दोहराना जारी रखा।

थरूर की यह प्रतिक्रिया चौंकाने वाली भले न हो मगर यह बताने के लिए काफी है कि पार्टी के अंदर सब कुछ एक सुर में नहीं चल रहा।

आनंद शर्मा की ‘साफ बात’ – संयम और रणनीति की तारीफ

अब एक और कद्दावर नेता आनंद शर्मा भी थरूर की राह पर चलते दिख रहे हैं। उन्होंने न केवल भारत सरकार के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की तारीफ की बल्कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करने की कोशिशों की भी सराहना की।

शर्मा को केंद्र सरकार द्वारा सर्वदलीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया गया है। वे जल्द ही मिस्र कतर और इथियोपिया की यात्रा करेंगे। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि हमने इस आतंकवाद की एक बड़ी कीमत चुकाई है... मगर इसके बाद भी हमने संयम बरता। पहलगाम के बाद हमने जवाबी कार्रवाई की मगर यह एक मापी हुई कार्रवाई थी।

 

--Advertisement--