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दिल्ली नगर निगम में इस बार मेयर चुनाव के नतीजे बिना वोटिंग के ही तय हो गए हैं क्योंकि आम आदमी पार्टी ने सोमवार को ऐलान किया कि वह 25 अप्रैल 2025 को होने वाले मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव में हिस्सा नहीं लेगी। पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज और पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना ने संयुक्त रूप से इस फैसले की जानकारी दी और साफ कर दिया कि पार्टी ने रणनीतिक रूप से यह निर्णय लिया है क्योंकि मौजूदा परिस्थितियों में भाजपा के पास बहुमत है और चुनाव लड़ने का कोई अर्थ नहीं रह गया।

वर्ष 2022 में एमसीडी इलेक्शन जीतने वाली आम आदमी पार्टी अब खुद मान रही है कि वह बहुमत खो चुकी है और भाजपा ने समीकरण बदल दिए हैं। फिलहाल निगम में भाजपा के पास 117 पार्षद 11 विधायक और सात सांसदों के साथ कुल 135 वोट हैं जबकि आम आदमी पार्टी के पास 113 पार्षद तीन विधायक और तीन राज्यसभा सांसदों को मिलाकर कुल 119 वोट हैं। कांग्रेस के आठ पार्षद हैं जो दोनों पक्षों के लिए निर्णायक भूमिका नहीं निभा पा रहे हैं।

पार्टी नेताओं ने भाजपा पर तोड़फोड़ का आरोप लगाया और कहा कि भाजपा ने सत्ता पाने के लिए राजनीतिक शुचिता को ताक पर रख दिया है लेकिन आम आदमी पार्टी ऐसे हथकंडों का हिस्सा नहीं बनना चाहती। इसलिए उन्होंने चुनावी मैदान से हटने का फैसला किया है। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हम जोड़-तोड़ की राजनीति में नहीं पड़ते इसलिए लड़कर हारने से बेहतर है कि हम भाजपा को मौका दें और देखें कि ट्रिपल इंजन सरकार में वे अपने वादों को कैसे निभाते हैं।

दिल्ली की सियासत में यह घटनाक्रम एक बड़ा मोड़ है क्योंकि यह पहली बार है जब आम आदमी पार्टी ने किसी बड़े चुनाव से खुद को बाहर किया है। वर्ष 2022 में 134 पार्षदों के साथ भारी बहुमत से जीतने वाली पार्टी को आज संख्या बल में पीछे हटना पड़ा है।

अब सवाल यह उठता है कि भाजपा जिसे मौका मिला है क्या वह नगर निगम में अपनी सरकार को दिल्ली के विकास के लिए उपयोग कर पाएगी या फिर ट्रिपल इंजन सरकार भी पुराने वादों की तरह ही सिर्फ जुमले साबित होगी।

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