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पटना में कारोबारी और भाजपा से जुड़े गोपाल खेमका की 4 जुलाई की रात हुई हत्या ने बिहार में सियासी उबाल ला दिया। हत्या की चश्मदीद स्थिति में, जैसे ही वे गांधी मैदान थाना के पास अपनी कार से उतर रहे थे, बाइक सवार हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं। उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया |

गोपाल खेमका छह साल पहले अपने बेटे गुंजन की हत्या को लेकर पहले से परिवार को होने वाले खतरों से वाकिफ थे  । उनके परिवार ने पुलिस की कार्रवाई में भी सुस्ती की शिकायत की। बताया गया कि पुलिस घटनास्थल से पहुंचने में दो तीन घंटे ले गई |

हत्या की जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपराधियों को बख्शे जाने का कोई फैसला न करने की कसम खाई और कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक बुलवाई  । कानून-व्यवस्था पर राजनीति भी जोर पकड़ गई। राजद नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री का सरकार पर हमला बोलते हुए सवाल उठाया कि “इतनी सी दूरी पर हत्या कैसे हो सकती है?”  । कांग्रेस ने भी पुलिस की सुस्ती पर सवाल उठाया तथा इस्तीफे की मांग की।

बेउर जेल में छापेमारी

हत्या के संबंध की छानबीन के तहत, पटना के बेउर केंद्रीय कारागार में राजस्थान जेल में अचानक और भीषण छापेमारी की गई। घटना के बाद गुरुवार की आधी रात सदर SDM और सिटी SP (वेस्ट) के नेतृत्व में, भारी पुलिस बल ने दो से तीन घंटे तक तलाशी ली  । जेल अधीक्षक पर कैदियों को प्रताड़ित करने, मोबाइल फोन और अन्य अनियमित गतिविधियों में संलिप्त होने जैसे आरोप लगे थे |

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

भाजपा नेता सम्राट चौधरी ने कहा, “दोषियों को घर में घुसकर मारेंगे” — यह बयान सरकार की स्थिति को और तगड़ा बनाने का संकेत था। राजद और कांग्रेस ने मिलकर यह आरोप लगाया कि राज्य में कानून-व्यवस्था बेहाल है और अपराधियों का मनोबल बढ़ गया है  । वहीं व्यापारिक वर्ग भी नाराज है, कंपनियों के मालिकों ने पुलिस के रवैये को चिंताजनक बताया |

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