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Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड में हाल ही में संपन्न त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के बाद अब असली राजनीतिक मुकाबला जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पदों को लेकर शुरू हो गया है। दोनों प्रमुख दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस अपनी रणनीतियों को धार दे रहे हैं, ताकि पंचायत स्तर की सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत रख सकें।

पंचायत में मिली जीत, अब नजर अगली बिसात पर

भाजपा, जिसने ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों में कई सीटें अपने समर्थित उम्मीदवारों के माध्यम से जीती हैं, अब अगले दौर की तैयारी में जुटी है। रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से राज्यसभा सांसद और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने मुलाकात कर इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की। बैठक में प्रदेश महामंत्री अजेय कुमार भी मौजूद रहे। बातचीत का केंद्र रहा—जिला पंचायत और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में पार्टी के लिए बहुमत कैसे सुनिश्चित किया जाए।

भट्ट ने सीएम को पंचायत स्तर पर भाजपा समर्थित उम्मीदवारों की जीत की जानकारी दी और साथ ही यह स्पष्ट किया कि कई निर्दलीय विजेता पार्टी की विचारधारा के नजदीक हैं, जिन्हें साथ लाने की कोशिशें जारी हैं।

कांग्रेस ने दिखाई आक्रामकता, तैयार कर रही प्रत्याशी पैनल

दूसरी ओर, कांग्रेस भी पूरी ताकत से मैदान में उतर चुकी है। पार्टी ने पहले से ही जिलों में पर्यवेक्षक नियुक्त किए थे, जिन्होंने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाई थी। अब यही पर्यवेक्षक जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पदों के लिए संभावित उम्मीदवारों की सूची तैयार कर प्रदेश नेतृत्व को भेज रहे हैं।

प्रदेश उपाध्यक्ष (संगठन) सूर्यकांत धस्माना के अनुसार, पर्यवेक्षक स्थानीय नेताओं, विधायकों, पूर्व जनप्रतिनिधियों और नव-निर्वाचित सदस्यों से संवाद कर पैनल तैयार कर रहे हैं। कांग्रेस का मानना है कि यदि चुनाव निष्पक्ष तरीके से संपन्न हुए, तो परिणाम भाजपा के लिए चौंकाने वाले हो सकते हैं।

देहरादून में टक्कर दिलचस्प

देहरादून जिले में चुनाव परिणाम दिलचस्प समीकरण पेश करते हैं। यहां भाजपा समर्थित सात, कांग्रेस समर्थित 13 और 10 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। भाजपा का दावा है कि कई निर्दलीय उम्मीदवार उनकी विचारधारा से जुड़े हैं और उन्हें समर्थन देने को तैयार हैं। वहीं कांग्रेस इस गणित को पलटने की कोशिश में है।

आरोप-प्रत्यारोप शुरू

जैसे-जैसे ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष पदों की लड़ाई तेज हो रही है, आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी गर्म हो गया है। कांग्रेस ने भाजपा पर धनबल के इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता पक्ष चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। कांग्रेस का दावा है कि यदि लोकतांत्रिक प्रक्रिया निष्पक्ष रही, तो पंचायत स्तर पर सत्ता संतुलन बदल सकता है।

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