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Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव में कुछ ही दिन बाकी हैं, और इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड) ने बड़ी कार्रवाई की है। रविवार, 26 अक्टूबर को जदयू ने कुल 16 नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इससे एक दिन पहले, 11 और नेताओं को इसी तरह के आरोपों के चलते बाहर किया गया था। इस कदम को बिहार में चुनावी उथल-पुथल के रूप में देखा जा रहा है।

बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू के भीतर मची हलचल
निष्कासित किए गए नेताओं में प्रमुख नामों में वर्तमान विधायक गोपाल मंडल, पूर्व विधायक महेश्वर यादव और पूर्व एमएलसी संजीव श्याम सिंह शामिल हैं। पार्टी ने आरोप लगाया है कि ये नेता "जदयू के मूल हितों और अनुशासन के खिलाफ" गतिविधियों में शामिल थे, और कुछ नेताओं पर आरोप है कि वे स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की योजना बना रहे थे।

पार्टी से बाहर हुए ये नेता
निष्कासित किए गए नेताओं की सूची में श्याम बहादुर सिंह, सुदर्शन कुमार, रणविजय सिंह, अमर कुमार सिंह और आसमा परवीन जैसे नाम भी शामिल हैं। इसके अलावा, लव कुमार, आशा सुमन, दिव्यांशु भारद्वाज और विवेक शुक्ला भी पार्टी से बाहर हुए हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार खुद इस सूची की समीक्षा करने के बाद निष्कासन का अंतिम आदेश देने को तैयार हुए।

नीतीश कुमार ने विपक्ष को दी कड़ी चेतावनी
इस बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष मुस्लिम समुदाय को केवल "वोट बैंक" के रूप में देखता है। बिहार में विकास की दिशा में एनडीए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का हवाला देते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि उनकी सरकार अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए लगातार काम कर रही है, जबकि विपक्ष सिर्फ खोखले वादे करता है।

वोट बैंक की राजनीति पर नीतीश का जोरदार हमला
नीतीश कुमार ने बताया कि 2005 के बाद से उनकी सरकार ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के लिए बढ़ी हुई धनराशि, मदरसों के आधुनिकीकरण और छात्रों के लिए छात्रवृत्तियाँ जैसी योजनाएँ शुरू की हैं। उन्होंने कहा, "वोट बैंक की राजनीति से परे, हम वास्तविक विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।"

बिहार में दो चरणों में चुनाव
बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे: 6 और 11 नवंबर को। चुनाव परिणाम 14 नवंबर को घोषित होंगे, जिससे बिहार में इस साल के सबसे कड़े चुनावी मुकाबले की शुरुआत होगी। राजनीतिक पटल पर ये चुनाव अहम माने जा रहे हैं क्योंकि राज्य में हाल के वर्षों में जदयू और एनडीए के बीच संघर्ष और विपक्ष के आरोप-प्रत्यारोप ने स्थिति को और भी दिलचस्प बना दिया है।