Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे पंचायत चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे सरकार की हलचल तेज़ होती दिख रही है। इस बार मुद्दा सिर्फ सत्ता को बनाए रखने का नहीं, बल्कि जनता का भरोसा फिर से जीतने का भी है। भाजपा दो बार लगातार राज्य में बहुमत के साथ सरकार बना चुकी है, लेकिन अगली बार यह दोहराना उतना आसान नहीं होगा। जनता के मूड और जमीनी सच्चाई को भांपते हुए सरकार ने रणनीति में कई अहम बदलाव किए हैं।
स्थानीय नेताओं को मिली जिम्मेदारी
चुनाव सिर्फ मतगणना तक सीमित नहीं रहते, यह एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें संगठन, कार्यकर्ता और स्थानीय नेता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने विधायकों और सांसदों को विशेष ज़िम्मेदारियाँ दी हैं ताकि वे अपने क्षेत्रों में पंचायत स्तर पर मजबूती से काम करें। यह कदम इसलिए भी अहम है क्योंकि ग्रामीण इलाकों में जनसमर्थन सीधे तौर पर स्थानीय चेहरों पर निर्भर करता है।
बाजारों की हालत सुधारने की कोशिश
आम लोगों के लिए महंगाई एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। बाजारों की रफ्तार सुस्त है और व्यापारी वर्ग असंतुष्ट नजर आ रहा है। इस स्थिति को सुधारने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद मैदान में उतर चुके हैं। वह जीएसटी में किए गए सुधारों को जनता के बीच ले जा रहे हैं ताकि व्यापारी वर्ग का भरोसा वापस जीता जा सके और आर्थिक गतिविधियों को फिर से गति दी जा सके।
हर पंचायत पर नजर, चुनाव से पहले सर्वे शुरू
भाजपा की रणनीति इस बार कहीं अधिक सूक्ष्म है। पार्टी केवल प्रदेश स्तर पर नहीं, बल्कि गांव-गांव और वार्ड-वार्ड की रिपोर्ट तैयार कर रही है। पंचायत स्तर पर चल रही योजनाओं की निगरानी की जा रही है और जिलेवार सर्वे से यह पता लगाया जा रहा है कि जनता में सरकार के प्रति नजरिया कैसा है। यह आंकड़े आगे विधानसभा चुनावों की दिशा भी तय कर सकते हैं।
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