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Up Kiran, Digital Desk: चीराला (बापटला जिला): आंध्र प्रदेश के चीराला की प्रसिद्ध 'कुप्पडम सिल्क साड़ी' ने अपने बुनकर के लिए एक बड़ा राष्ट्रीय सम्मान हासिल किया है। इस साड़ी को बनाने वाले मास्टर बुनकर, बल्ला वेंकट रमण को उनकी उत्कृष्ट कारीगरी के लिए 'राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार 2023' के लिए चुना गया है।

कुप्पडम साड़ी अपनी खास बुनाई तकनीक के लिए जानी जाती है, जिसे 'अड्डेकम' या '3-शटल' तकनीक भी कहते हैं। इस तकनीक में साड़ी के बॉर्डर और बॉडी (मुख्य हिस्सा) को अलग-अलग बुना जाता है और फिर उन्हें एक साथ खूबसूरती से जोड़ा जाता है। यह एक बेहद जटिल और कलात्मक काम है, जो इस साड़ी को सबसे अलग बनाता है।

बल्ला वेंकट रमण पिछले 25 सालों से इस कला को जी रहे हैं। उन्होंने यह हुनर अपने पिता से विरासत में सीखा है और आज भी इस पारंपरिक कला को जिंदा रखे हुए हैं। उन्होंने बताया कि एक कुप्पडम साड़ी को तैयार करने में पांच दिन का समय लगता है और इसकी कीमत 12,000 रुपये से लेकर 15,000 रुपये तक होती है।

इस राष्ट्रीय सम्मान के लिए चुने जाने पर उन्होंने अपनी खुशी जाहिर की। यह पहली बार नहीं है कि उनकी कला को पहचान मिली है; उन्हें 2017 में राज्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

उन्हें यह प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार 7 अगस्त को 'राष्ट्रीय हथकरघा दिवस' के अवसर पर प्रदान किया जाएगा। यह पुरस्कार न केवल वेंकट रमण के व्यक्तिगत कौशल का सम्मान है, बल्कि यह चीराला की पूरी बुनकर बिरादरी और उनकी सदियों पुरानी विरासत के लिए भी गर्व का क्षण है।

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