
America gave big punishment to China: चीन और ट्रंप के बीच चल रहे टैरिफ वॉर के तनावपूर्ण माहौल में एक नया मोड़ तब आया जब अमेरिका के मिसौरी राज्य की एक अदालत ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) पर 24 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया। ये फैसला कोरोना आपदा के दौरान व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) की जमाखोरी के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराते हुए सुनाया गया है।
मिसौरी के अटॉर्नी जनरल एंड्रयू बेली ने 2020 में चीन की सरकार, सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी, वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और अन्य चीनी संस्थाओं के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। आरोप था कि चीन ने कोविड-19 के शुरुआती चरणों में महत्वपूर्ण सूचनाएं छिपाईं। इस बारे में जानकारी देने वालों को गिरफ्तार किया और महामारी की गंभीरता को कम करके आंका। इसके अलावा, चीन पर पीपीई उत्पादन को प्रतिबंधित करने, आयात-निर्यात रोकने और अमेरिकी बाजार में सुरक्षात्मक उपकरणों की जमाखोरी करने का भी आरोप लगाया गया था, जिससे राज्य को कर राजस्व में नुकसान और पीपीई की लागत में वृद्धि का सामना करना पड़ा।
मिसौरी के जिला न्यायाधीश स्टीफन लिम्बाघ जूनियर ने अपने फैसले में कहा कि चीन द्वारा पीपीई का भंडारण कोरोना के बारे में प्रमुख तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने के दौरान किया गया, जिसमें इसका अस्तित्व, गंभीरता और मानव से मानव में संक्रमण शामिल है। न्यायाधीश ने कहा कि वादी ने इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं। इसके परिणामस्वरूप, अदालत ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर 24 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया।
बता दें कि चीन ने इस मुकदमे को पहले ही बेवकूफी भरा और संप्रभुता का उल्लंघन करार देते हुए खारिज किया था। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा था कि इस तरह के केस का कोई तथ्यात्मक और कानूनी आधार नहीं है और ये अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है