
Up Kiran, Digital Desk: एक समय था जब अफगानिस्तान का बगराम एयरफील्ड अमेरिकी ताकत का सबसे बड़ा प्रतीक हुआ करता था। यहीं से पूरे अफगानिस्तान और आसपास के इलाकों पर नजर रखी जाती थी। लेकिन तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिकी सेना को रातों-रात इसे खाली करके जाना पड़ा। अब, दो साल बाद, अमेरिकी खेमों में दबी जुबान में यह चर्चा फिर से शुरू हो गई है कि क्या आतंकवाद से लड़ने के लिए अमेरिका को बगराम वापस लौटना चाहिए?
यह सुनने में भले ही किसी हॉलीवुड फिल्म की कहानी जैसा लगे, लेकिन हकीकत की जमीन पर यह लगभग नामुमकिन सा लगता है। अमेरिका के लिए बगराम वापसी का रास्ता कांटों से भरा है, जिसमें तीन मुश्किलें तो पहाड़ जैसी हैं।
1. तालिबान की 'ना' वाली दीवार
सबसे पहली और सबसे बड़ी बाधा खुद तालिबान है। जिस तालिबान ने अमेरिका को देश से बाहर निकालने के लिए 20 साल तक लड़ाई लड़ी, वह भला उसे दोबारा अपने ही घर में सैन्य अड्डा बनाने की इजाजत क्यों देगा? अमेरिका आज तक तालिबान की सरकार को आधिकारिक मान्यता भी नहीं देता है। ऐसे में तालिबान से किसी भी तरह का सैन्य समझौता करना एक राजनयिक दुःस्वप्न जैसा होगा, जिसे कोई भी अमेरिकी सरकार मोल नहीं लेना चाहेगी।
2. लॉजिस्टिक्स का महा-सिरदर्द
चलिए एक पल को मान भी लें कि तालिबान मान गया, तो दूसरी बड़ी मुश्किल है लॉजिस्टिक्स की। अफगानिस्तान एक 'लैंड-लॉक्ड' देश है, यानी इसकी सीमाएं किसी समुद्र से नहीं मिलतीं। अब सवाल यह उठता है कि अमेरिकी सैनिक और भारी-भरकम साजो-सामान बगराम तक पहुंचेंगे कैसे?
पाकिस्तान कभी भी अपनी जमीन से अमेरिकी सेना को गुजरने की इजाजत नहीं देगा।
ईरान से तो अमेरिका के रिश्ते पहले से ही खराब हैं।
मध्य एशिया के देश रूस और चीन के दबाव में ऐसा कोई कदम उठाने से बचेंगे।
तो क्या सैनिक और टैंक आसमान से टपकेंगे? बिना पड़ोसी देशों की मदद के बगराम तक सप्लाई लाइन बनाए रखना लगभग नामुमकिन है।
3. कूटनीतिक दलदल: अगर अमेरिका तालिबान से बात करने की कोशिश भी करता है, तो यह पूरी दुनिया में एक गलत संदेश देगा। इसका मतलब यह होगा कि अमेरिका ने आखिरकार तालिबान शासन को स्वीकार कर लिया है। यह अमेरिका के लिए एक बड़ी कूटनीतिक हार होगी। साथ ही, रूस और चीन जैसे देश इस क्षेत्र में अमेरिका की किसी भी तरह की वापसी का खुलकर विरोध करेंगे।
कहने और करने में जमीन-आसमान का फर्क होता है। आतंकवाद पर नजर रखने की चिंता अपनी जगह है, लेकिन बगराम वापस लौटने का रास्ता अमेरिका के लिए लगभग बंद हो चुका है।