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Up Kiran, Digital Desk: क्या अमेरिका की टैरिफ नीति वाकई भारत को झुका पाएगी? डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस के साथ भारत के तेल व्यापार को रोकने की कोशिश अब उलटी साबित हो रही है। अमेरिका की सख्ती के बावजूद भारत ने साफ संकेत दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करेगा। उल्टा, भारत अब और ज्यादा रूसी तेल खरीदने की तैयारी कर रहा है, क्योंकि रूस उसे भारी छूट दे रहा है।

रूस से मिल रहा है भारत को सस्ता कच्चा तेल

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट बताती है कि सितंबर और अक्टूबर में भारत को मिलने वाला रूसी यूराल क्रूड, ब्रेंट क्रूड के मुकाबले 3 से 4 डॉलर प्रति बैरल सस्ता है। यह छूट पहले सिर्फ 1 डॉलर तक सीमित थी। इसका मतलब है कि भारत को रूस से मिल रहे कच्चे तेल में लगातार बढ़ती छूट देखने को मिल रही है, जो भारतीय रिफाइनरियों के लिए एक आकर्षक सौदा बन चुका है।

अमेरिकी दबाव के बाद भी भारत नहीं झुका

27 अगस्त से 1 सितंबर के बीच, भारत ने 11.4 मिलियन बैरल रूसी तेल खरीदा, जो यह दर्शाता है कि अमेरिकी टैरिफ का कोई खास असर नहीं पड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ समय के विराम के बावजूद भारतीय रिफाइनरियां रूसी तेल की खरीद जारी रखे हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत सितंबर में रूस से तेल आयात को 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है

ट्रंप प्रशासन का कड़ा रुख

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर दबाव बढ़ाते हुए निर्यात पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाया और यह आरोप लगाया कि भारत रूस के साथ तेल व्यापार कर यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से फंड कर रहा है। व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो ने तो यहां तक कहा कि यह "मोदी का युद्ध" बन चुका है। साथ ही भारत को रूस का "लॉन्ड्रोमैट" कहकर बदनाम करने की कोशिश की गई।

भारत ने दिया तीखा जवाब

भारत ने इस पर स्पष्ट रूप से जवाब दिया है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत का हर लेन-देन पूरी तरह पारदर्शी है। उन्होंने अमेरिका के आरोपों को "हकीकत से कोसों दूर" बताया। भारत ने यह भी कहा कि उसका व्यापार किसी अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं करता और तेल आयात पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा है।

रूस के साथ संबंध और गहरे हो रहे हैं

नई दिल्ली अब सिर्फ रूस के साथ ही नहीं, बल्कि चीन के साथ भी अपने संबंधों में गर्मजोशी ला रहा है। हाल ही में चीन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के साथ संबंधों को "विशेष" बताया और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साझेदारी वाले दृष्टिकोण का समर्थन किया।

रूसी तेल से भारत को अरबों की बचत

2022 से अब तक, भारत की रूसी तेल पर निर्भरता 1% से बढ़कर 40% हो गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2022 से जून 2025 के बीच भारत ने कम से कम 17 अरब डॉलर की बचत की है। ये आंकड़े दिखाते हैं कि भारत के लिए रूस से तेल खरीदना सिर्फ रणनीतिक नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी फायदेमंद है।

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