
Up Kiran, Digital Desk: नई दिल्ली का सियासी और कारोबारी तापमान इस वक्त चढ़ा हुआ है। वजह है एक बेहद अहम मेहमान का भारत आना। अमेरिका की शीर्ष व्यापार अधिकारी, यानी यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (USTR) कैथरीन टाई भारत पहुंच चुकी हैं। उनका यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर एक तरह का तनाव बढ़ रहा है, खासकर अमेरिका द्वारा दूसरे देशों पर लगाए जा रहे नए टैरिफ (आयात शुल्क) को लेकर।
यह कोई सामान्य दौरा नहीं है, बल्कि इसे व्यापार की दुनिया में एक 'हाई-स्टेक्स' यानी बहुत ही महत्वपूर्ण बातचीत माना जा रहा है। इस बातचीत का मकसद सिर्फ हाथ मिलाना और मुस्कुराना नहीं, बल्कि सालों से अटके हुए उन व्यापारिक मुद्दों को सुलझाना है, जो दोनों देशों के बीच रिश्तों में एक कांटे की तरह चुभते रहे हैं।
किन मुद्दों पर होगी दो-टूक बात: इस बातचीत के एजेंडे में कई गंभीर और जटिल मुद्दे शामिल हैं:
टैरिफ का जाल: अमेरिका ने स्टील और एल्युमीनियम जैसी कई भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ लगाए हैं। जवाब में भारत ने भी कुछ अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाया था। इस बैठक में इन टैरिफ को कम करने या खत्म करने पर बातचीत होगी।
बाजार तक पहुंच: अमेरिका हमेशा से चाहता रहा है कि भारत अपने बाजार को अमेरिकी कृषि उत्पादों, डेयरी आइटम्स और मेडिकल उपकरणों के लिए और खोले। भारत इस पर अपने किसानों और घरेलू उद्योग के हितों की रक्षा करना चाहता है।
डिजिटल ट्रेड और डेटा: आज के दौर में यह सबसे बड़ा मुद्दा है। डेटा को देश में ही स्टोर करने (डेटा लोकलाइजेशन) के भारतीय नियमों पर अमेरिका को कुछ आपत्तियां हैं। इस पर भी कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिश होगी।
बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights): दवाओं और टेक्नोलॉजी से जुड़े पेटेंट कानूनों को लेकर भी दोनों देशों के बीच मतभेद हैं, जिन्हें सुलझाने का प्रयास किया जाएगा।
इस बैठक को सिर्फ समस्याओं के पिटारे के तौर पर नहीं देखा जा रहा, बल्कि यह 'इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क' (IPEF) जैसे मंचों के तहत सहयोग बढ़ाने का भी एक अवसर है। दोनों ही पक्ष जानते हैं कि लड़ने से ज्यादा मिलकर काम करने में फायदा है। पूरी दुनिया की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह बातचीत तनाव को कम करके एक नए और फायदेमंद व्यापारिक रिश्ते की नींव रख पाएगी।