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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता को एक बार फिर मजबूत करते हुए बलोचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) और उसकी सहयोगी मजीद ब्रिगेड को 'विदेशी आतंकवादी संगठन' (Foreign Terrorist Organizations - FTO) के रूप में औपचारिक रूप से नामित किया है। यह कदम न केवल अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने की अमेरिका की दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाता है, बल्कि यह चीन के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के नाम पर क्षेत्र में अपनी भौतिक उपस्थिति बढ़ाने के प्रयासों को भी सीमित करता है। बुधवार को एक जाने-माने अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक ने यह बात कही।

अमेरिकी विदेश सचिव की बड़ी घोषणा और 'आतंकवाद पर वार':

अमेरिकी विदेश सचिव मार्को रुबियो ने सोमवार को BLA और मजीद ब्रिगेड को FTOs के रूप में नामित करते हुए कहा कि विदेश विभाग द्वारा की गई यह कार्रवाई डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन की आतंकवाद का मुकाबला करने की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यह कदम पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत में सुरक्षा चिंताओं को एक बहाने के रूप में इस्तेमाल कर रहे चीन के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है।

भारत के रुख की पुष्टि: TRF और लश्कर-ए-तैयबा का कनेक्शन!

यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब पिछले महीने ही वाशिंगटन ने 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) को भी FTO और 'विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी' (Specially Designated Global Terrorist - SDGT) के रूप में नामित किया था। इस निर्णय ने भारत के लंबे समय से चले आ रहे इस रुख को और मजबूत किया है कि TRF कोई स्थानीय उग्रवादी समूह नहीं, बल्कि पाकिस्तान स्थित जिहादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का एक प्रॉक्सी है। LeT की स्थापना जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद के प्रति पाकिस्तान के निरंतर संरक्षण को छिपाने के उद्देश्य से की गई थी।

जॉन स्पेंसर का विश्लेषण: 'ट्रम्प प्रशासन का आतंकवाद के प्रति अडिग रुख'

यूएस-आधारित अर्बन वॉरफेयर इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक जॉन स्पेंसर ने बुधवार को लिखा कि ये लगातार हो रही आतंकवादी संगठनों की नामजदगी दर्शाती है कि राष्ट्रपति ट्रम्प के नेतृत्व वाला अमेरिका, आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे वह कहीं भी हो।

बलोचिस्तान में तेल निवेश: एक नया भू-राजनीतिक समीकरण?

इन आतंकवादी संगठनों को नामित करने के साथ-साथ, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा बलोचिस्तान में तेल की खोज में अमेरिकी निवेश की घोषणा ने एक नया भू-राजनीतिक समीकरण तैयार किया है। यह कदम न केवल अमेरिका की क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक हितों को मजबूत करता है, बल्कि चीन को CPEC के माध्यम से बलोचिस्तान में अपनी पकड़ मजबूत करने के अवसर को भी सीमित करता है। विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका की यह दोहरी रणनीति (आतंकवाद पर कार्रवाई और आर्थिक निवेश) क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने का एक प्रयास है।

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