
Up Kiran, Digital Desk: पहाड़ों से घिरे हमारे पड़ोसी देश नेपाल में एक बार फिर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। पुष्पकमल दहल 'प्रचंड' की सरकार गिरने के बाद, अनुभवी नेता के.पी. शर्मा ओली ने एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की बागडोर संभाल ली है। शपथ लेने के तुरंत बाद, उन्होंने अपने सभी राजनीतिक विरोधियों और आलोचकों से एक ख़ास अपील की है - "थोड़ा शांत रहें और मुझे देश के लिए काम करने का मौका दें।"
क्यों की यह अपील: नेपाल की राजनीति पिछले कुछ समय से अस्थिरता के दौर से गुजर रही है। गठबंधन बनना और टूटना यहां आम बात हो गई है, जिसका सीधा असर देश के विकास और आम जनता पर पड़ता है। ऐसे में, जब ओली एक नए गठबंधन के साथ सत्ता में लौटे हैं, तो उन्हें पता है कि आगे की राह आसान नहीं है।
उनकी इस अपील का मतलब साफ है - वह चाहते हैं कि देश में राजनीतिक शांति बनी रहे ताकि उनकी सरकार देश की ज़रूरी समस्याओं, जैसे कि अर्थव्यवस्था और विकास, पर ध्यान केंद्रित कर सके। उन्होंने कहा, "मैं अभी किसी भी बहस या विवाद में नहीं पड़ना चाहता। मेरा पूरा ध्यान काम करने पर है।"
कैसे बदली सत्ता: इससे पहले, पुष्पकमल दहल 'प्रचंड' की सरकार को नेपाली कांग्रेस पार्टी का समर्थन हासिल था। लेकिन जब प्रचंड ने विपक्षी पार्टी CPN-UML के साथ मिलकर नई सरकार बनाने का फैसला किया, तो नेपाली कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया। इसके कारण प्रचंड को बहुमत साबित करने से पहले ही इस्तीफा देना पड़ा और ओली के लिए प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया।
नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने संविधान के अनुसार सबसे बड़े गठबंधन के नेता के रूप में ओली को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। अब प्रधानमंत्री ओली को अगले 30 दिनों के अंदर संसद में अपना बहुमत साबित करना होगा, जो उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
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