
Up Kiran, Digital Desk: आंध्र प्रदेश को स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। राज्य की मुख्य सचिव (Chief Secretary) डॉ. के.एस. जवाहर रेड्डी ने सभी सरकारी कार्यालयों को पूरी तरह से प्लास्टिक-मुक्त बनाने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं। यह पहल पर्यावरण संरक्षण के प्रति सरकार की गंभीरता और 'स्वच्छ आंध्र प्रदेश' के लक्ष्य को दर्शाती है।
मुख्य सचिव ने जोर देकर कहा कि सरकारी दफ्तरों में 'सिंगल-यूज़ प्लास्टिक' (एक बार इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक) का उपयोग तुरंत बंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है। उन्होंने सभी अधिकारियों को इस दिशा में सक्रिय रूप से काम करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि उनके विभागों में प्लास्टिक का इस्तेमाल बिल्कुल भी न हो।
कैसे होगा यह बदलाव?
जागरूकता अभियान: सबसे पहले, सरकारी कर्मचारियों और आगंतुकों के बीच प्लास्टिक के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाएगी। उन्हें बताया जाएगा कि प्लास्टिक का इस्तेमाल क्यों छोड़ना ज़रूरी है।
विकल्पों का इस्तेमाल: प्लास्टिक की बोतलों, कपों, प्लेटों और थैलियों की जगह दोबारा इस्तेमाल होने वाले या पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों का इस्तेमाल किया जाएगा। जैसे, पानी पीने के लिए स्टील या कांच की बोतलें, कपड़े के थैले और बायोडिग्रेडेबल कटलरी।
कचरा प्रबंधन: प्लास्टिक कचरे को अलग करने और उसका सही तरीके से निपटान करने पर भी जोर दिया जाएगा।
नियमित निगरानी: सभी विभागों में प्लास्टिक-मुक्त पहल की नियमित रूप से निगरानी की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि नियमों का पालन हो रहा है या नहीं।
मुख्य सचिव ने कहा कि सरकारी कार्यालयों को 'बदलाव की मिसाल' बनना चाहिए। जब सरकारी दफ्तर प्लास्टिक-मुक्त होंगे, तो इससे आम जनता को भी प्रेरणा मिलेगी और वे भी प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करने के लिए प्रेरित होंगे। यह पहल 'स्वच्छ भारत अभियान' और टिकाऊ जीवन शैली के सिद्धांतों के अनुरूप है।
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