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Up Kiran, Digital Desk: टेक्नोलॉजी की दुनिया के दो सबसे बड़े दिग्गजों, एप्पल (Apple) और यूरोपीय संघ (EU), के बीच एक बड़ा टकराव छिड़ गया है। EU के नए और सख्त डिजिटल मार्केट्स एक्ट (DMA) को लेकर Apple ने गंभीर चिंता जताते हुए कहा है कि यह कानून न केवल लाखों iPhone यूजर्स की सुरक्षा और गोपनीयता (security and privacy) को गहरे खतरे में डालेगा, बल्कि उन्हें Apple के नए और रोमांचक फीचर्स के लिए लंबा इंतजार भी कराएगा।

क्या है 'कानून का एप्पल' पर अटैक?

DMA कानून का मकसद गूगल, एप्पल, मेटा जैसी बड़ी 'गेटकीपर' कंपनियों के एकाधिकार को तोड़ना और डिजिटल बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धा पैदा करना है। इस कानून के तहत, Apple को अपने iPhones और iPads में 'साइडलोडिंग' (Sideloading) यानी App Store के बाहर से भी ऐप्स इंस्टॉल करने की इजाजत देनी होगी। इसके अलावा, उसे थर्ड-पार्टी ऐप स्टोर्स को भी अपने प्लेटफॉर्म पर अनुमति देनी होगी। EU का तर्क है कि इससे यूजर्स को अधिक विकल्प मिलेंगे और डेवलपर्स को एक समान अवसर मिलेगा।

लेकिन Apple के लिए, यह उसके 'सुरक्षा किले' पर सीधा हमला है।

Apple के ‘दो बड़े डर’: Apple ने EU से इस कानून पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हुए दो बड़ी चेतावनियां दी हैं:

डर नंबर 1: मैलवेयर, स्कैम और डेटा चोरी का हमला!

एप्पल का सबसे बड़ा तर्क है कि उनका 'क्लोज्ड इकोसिस्टम' (जिसे "Walled Garden" भी कहा जाता है) ही यूजर्स को मैलवेयर, फ्रॉड, खतरनाक ऐप्स और डेटा चोरी से बचाता है। App Store पर हर ऐप की कड़ी जांच होती है।
कंपनी का कहना है कि साइडलोडिंग की अनुमति देने से iPhones में खतरनाक ऐप्स की बाढ़ आ जाएगी, जिससे यूजर्स की निजी जानकारी, जैसे उनके बैंक डिटेल्स, पासवर्ड और निजी तस्वीरें, हैकर्स के हाथ लग सकती हैं। इससे iPhone का वह 'सुरक्षा कवच' टूट जाएगा, जिसके लिए वह जाना जाता है।

डर नंबर 2: नए फीचर्स के लिए तरस जाएंगे यूरोपीय यूजर्स!

Apple ने यह भी चेतावनी दी है कि DMA के जटिल नियमों का पालन करने के लिए उसे अपने इंजीनियरिंग संसाधनों को एक बड़े हिस्से को लगाना होगा। कंपनी के अनुसार, इससे इनोवेशन की गति धीमी हो जाएगी और यूरोप में नए फीचर्स को लॉन्च करने में देरी हो सकती है। इसका मतलब यह है कि हो सकता है कि कोई नया iOS फीचर अमेरिका या एशिया में पहले लॉन्च हो जाए और यूरोपीय यूजर्स को उसके लिए महीनों तक इंतजार करना पड़े।

सुरक्षा बनाम स्वतंत्रता की लड़ाई

यह टकराव असल में 'नियंत्रण और सुरक्षा' बनाम 'प्रतिस्पर्धा और स्वतंत्रता' की लड़ाई है। एक तरफ EU अपने नागरिकों और डेवलपर्स को अधिक विकल्प और आजादी देना चाहता है, वहीं Apple अपने यूजर्स को एक सुरक्षित और सहज अनुभव देने की दलील दे रहा है, जिसे उसने सालों से बनाया है। आने वाला समय ही बताएगा कि इस बड़ी टेक-वॉर में जीत किसकी होती है, लेकिन इसका असर दुनिया भर के करोड़ों स्मार्टफोन यूजर्स पर पड़ना तय है।