Up Kiran, Digital Desk: भारतीय जनता पार्टी के भीतर से ही अब कश्मीरी पंडितों की दशकों पुरानी तकलीफों को लेकर तीखी आवाज़ें उठने लगी हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता जहांजैब सिरवाल ने रविवार को पार्टी नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए कहा कि कश्मीरी पंडितों को केवल सियासी हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया है, लेकिन उनके साथ न्याय अब तक नहीं हुआ।
सिरवाल ने कहा कि ये समुदाय हमेशा BJP के लिए सबसे भरोसेमंद रहा है, लेकिन उन्हें केवल भावनात्मक मुद्दा बनाकर चुनावों में इस्तेमाल किया जाता है। उनका कहना था कि "इस समुदाय के दर्द का ज़िक्र संसद में सैकड़ों बार हुआ, लेकिन नतीजा आज भी वही है - तंगहाल कैंप, अधूरी उम्मीदें और लटकी हुई उम्मीदें।"
सिरवाल ने किया ठोस कार्रवाई का आग्रह
जहांजैब सिरवाल ने मांग की है कि पार्टी अब केवल बयानबाज़ी से आगे बढ़े और ज़मीनी स्तर पर ठोस पहल करे। उन्होंने सुझाव दिया कि सीनियर नेताओं को खुद इन कैंपों का दौरा कर हालात देखने चाहिए और फिर कश्मीरी पंडित प्रतिनिधियों के साथ बैठकर कोई वास्तविक समाधान निकालना चाहिए।
सिरवाल ने कहा कि ये समुदाय केवल सहानुभूति नहीं, एक व्यापक और सम्मानजनक पुनर्वास नीति का हकदार है। उन्होंने इस दिशा में किसी भी नीति या योजना की कमी पर भी सवाल उठाए और इसे मानवीय विफलता करार दिया।
उत्तर प्रदेश मॉडल पर भी सवाल
3 अक्टूबर को सिरवाल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीतियों पर भी आपत्ति जताई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि मुस्लिम समुदाय के खिलाफ राज्य की पुलिस कार्रवाई "बदले की भावना" से प्रेरित लगती है। सिरवाल ने तब पार्टी छोड़ने की चेतावनी दी थी, और अब कश्मीरी पंडितों की अनदेखी के मुद्दे पर फिर से केंद्र नेतृत्व को कटघरे में खड़ा किया है।




