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Aurangzeb Controversy: महाराष्ट्र के खुल्दाबाद में मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को लेकर सियासी हलचल तेज़ हो गई है। वहां की स्थानीय राजनीति में तूल पकड़ते हुए। कई हिंदू संगठनों ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग की है। तो वहीं कई लोग इसका विरोध कर रहे हैं। इस मुद्दे ने राज्य की राजनीति में नया मोड़ लिया है और इससे जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों पर एक नई बहस शुरू हो गई है।

औरंगजेब का नाम आते ही सबसे पहले जो छवि मन में उभरती है, वो है एक क्रूर और कट्टर मुस्लिम शासक की। इसने हिंदू धर्म के खिलाफ कई कठोर कदम उठाए। कहा जाता है कि औरंगजेब ने कई हिंदू मंदिरों को तोड़ा, हिंदू त्योहारों पर प्रतिबंध लगाया और हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा की। ये ऐतिहासिक तथ्य अधिकांश लोगों के दिमाग में बसा हुआ है कि उसने हिंदू धर्म को नष्ट करने का प्रयास किया। लेकिन क्या सिर्फ यही औरंगजेब की छवि है?

औरंगजेब ने दिया कई मंदिरों को दान

आधिकारिक दस्तावेज़ और इतिहासकारों के मुताबिक, औरंगजेब ने कई हिंदू मंदिरों को तोड़ने के साथ-साथ उन मंदिरों के लिए दान भी किया था। यह ऐतिहासिक तथ्य पहली बार अमेरिकी इतिहासकार ऑड्री ट्रस्चके की किताब 'औरंगजेब: द मैन एंड द मिथ' में उभरा था। ट्रस्चके के मुताबिक, औरंगजेब ने न केवल मंदिरों को तोड़ा बल्कि कई मंदिरों के पुनर्निर्माण में भी दान दिया। उदाहरण के तौर पर चित्रकूट का बालाजी मंदिर, गुवाहाटी का उमानंद मंदिर, उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर और सोमेश्वर मंदिर जैसी प्रमुख धार्मिक संरचनाओं को उसने अपने शासनकाल में दान दिया था।

विवाद के बीच यह भी साफ है कि औरंगजेब को लेकर सच्चाई काले और सफेद रंगों में नहीं बंटी है। वह न तो पूरी तरह क्रूर था, न ही पूरी तरह उदार। शायद यही वजह है कि 300 साल बाद भी वह चर्चा में बना हुआ है।