
Up Kiran, Digital Desk: हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य और कुंवारी कन्याओं के लिए मनचाहे वर की कामना का प्रतीक है. यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के अटूट प्रेम और तपस्या को समर्पित है. साल 2025 में हरतालिका तीज शुक्रवार, 27 अगस्त को मनाई जाएगी, और इस दिन तीन अत्यंत शुभ योग भी बन रहे हैं, जो इस व्रत के महत्व को और भी बढ़ा देंगे.
हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. इस दिन महिलाएं और कन्याएं निर्जला व्रत रखती हैं, यानी बिना अन्न-जल ग्रहण किए व्रत का पालन करती हैं. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है और पति की लंबी आयु होती है, वहीं अविवाहित कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है. व्रत के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की रेत से बनी प्रतिमाओं की विशेष पूजा की जाती है.
हरतालिका तीज 2025 के शुभ मुहूर्त और योग:
तिथि और समय: भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि 26 अगस्त 2025 को सुबह 09:25 बजे शुरू होकर 27 अगस्त 2025 को सुबह 07:44 बजे समाप्त होगी. उदय तिथि के अनुसार, हरतालिका तीज 27 अगस्त को ही मनाई जाएगी.
पूजा का शुभ समय: सुबह का मुहूर्त: 27 अगस्त को सुबह 05:46 बजे से 08:24 बजे तक. यह पूजा के लिए एक शुभ अवधि है.
प्रदोष काल मुहूर्त: शाम को 06:40 बजे से 08:00 बजे तक. शाम की पूजा के लिए यह समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है.
तीन महाशुभ योग: इस साल हरतालिका तीज पर सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और रवि योग का अद्भुत संयोग बन रहा है.
सर्वार्थ सिद्धि योग: इस योग में किए गए सभी कार्य सफल होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
अमृत सिद्धि योग: यह योग अमरता और शुभता का प्रतीक है, इसमें की गई पूजा का विशेष फल मिलता है.
रवि योग: सूर्य देव का आशीर्वाद दिलाने वाला यह योग, नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है.
इन तीनों योगों में पूजा करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है.
हरतालिका तीज की कथा:पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर स्या की थी. उनके पिता ने उनका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया था, लेकिन पार्वती शिवजी से ही विवाह करना चाहती थीं. उनकी सहेली उन्हें एक घने जंगल में छिपाकर ले गई थी, ताकि उनका विवाह उनकी इच्छा के विरुद्ध न हो सके. पार्वती ने रेत से शिवलिंग बनाकर निर्जला व्रत रखा और शिवजी को प्रसन्न किया. 'हरतालिका' शब्द 'हरित' (हरण करना) और 'आलिका' (सहेली) से बना है, जिसका अर्थ है सहेली द्वारा हरण की गई.
व्रत पारण का समय: हरतालिका तीज का व्रत 27 अगस्त को रखा जाएगा और इसका पारण अगले दिन, 28 अगस्त को सूर्योदय के बाद किया जाएगा. पारण हमेशा विधि-विधान से पूजा संपन्न करने और व्रत कथा सुनने के बाद ही किया जाता है.
यह पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि प्रेम, त्याग और अटूट आस्था का प्रतीक भी है. शुभ मुहूर्त और इन महायोगों में शिव-पार्वती की पूजा करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है.
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