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बीते दो लोकसभा इलेक्शनों में बीजेपी ने यूपी से बंपर सीटें जीती थीं। इसलिए नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी केंद्र में बहुमत की सरकार बनाने में सफल रही। लेकिन इस साल हुए लोकसभा इलेक्शन में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में करारा झटका लगा है। बीजेपी को इस बार उत्तर प्रदेश की 80 में से सिर्फ 33 सीटें ही मिली हैं। उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस गठबंधन ने सफलता हासिल की।

उत्तर प्रदेश की चौथी सबसे बड़ी पार्टी मायावती की बसपा को एक भी सीट नहीं मिल सकी। हालांकि, बसपा के कारण हुए वोटों के बंटवारे से बीजेपी के लिए बड़ी शर्मिंदगी टल गई है। वरना उत्तर प्रदेश में बीजेपी की हालत और ख़राब हो गयी थी।

राज्य में 16 सीटों पर मायावती अपने विरोधियों से हार गई हैं। अब इस बात की जांच शुरू हो गई है कि ये नुकसान किसने किया। अब चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक आंकड़ों पर नजर डालें तो जहां मायावती के उम्मीदवारों को जय पराजय से ज्यादा वोट मिले हैं। इनमें से 14 में बीजेपी को जीत मिली है। आरएलडी और अपना दल (सोनेलाल) ने 2 सीटों पर जीत हासिल की है।

तो अब अगर अंदाजा लगाना हो कि अगर ये सीटें इंडिया अलायंस को मिल जातीं तो क्या होता, बीजेपी की सीटें 33 से घटकर 19 हो जातीं। 2019 में उत्तर प्रदेश में एसपी और बीएसपी के बीच गठबंधन हुआ था। उस वक्त बीजेपी की सीटें 71 से घटकर 62 सीटें हो गई थीं।

इस बीच, इंडिया अलायंस नेता बसपा मतदाताओं को यह समझाने में सफल रहे कि प्रचार के दौरान मायावती का रुख भाजपा के खिलाफ आक्रामक नहीं था। इसलिए बसपा का वोटर इंडिया अलायंस की ओर मुड़ गया। इस बीच, जिन निर्वाचन क्षेत्रों में मायावती की पार्टी को जय परजय से अधिक वोट मिले, वहां भाजपा और उसके सहयोगियों को फायदा हुआ। जिन सीटों पर बसपा और उसके सहयोगियों को सबसे ज्यादा वोट मिले हैं उनमें अकबरपुर, अलीगढ, अमरोहा, बांसगांव, भदोही, बिजनौर, देवरिया, फर्रुखाबाद, फतेहपुर सीकरी, हरदोई, मेरठ, मिर्ज़ापुर, मिश्रिख, फूलपुर, शाहजहाँपुर और उन्नाव शामिल हैं ।

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