
(पवन सिंह)
Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश सरकार में एक लंबे कद के ब्यूरोक्रेट्स हुआ करते थे। कानून से भी लंबे हाथ और संपर्क ऐसे की शब्द कम पड़ जाएं। एक महिला मुख्यमंत्री के कार्यकाल में उनका सितारा ऐसा बुलंद हुआ कि महोदय का सितारा, सूरज सा चमक उठा..!! आदमियों में एक फिसलन होती है वह चांद, सितारा, सूरज तो बन जाता है लेकिन चमक सहेज नहीं पाता है।
दरबारियों की भीड़ "बटर विध चीज़" लेकर ऐसा रगड़न कर देती है कि वह खुद को खुदा बना लेता है। उत्तर प्रदेश के इन रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट के साथ भी यही हुआ...!! महिला मुख्यमंत्री की हुकूमत गई तो यह सूरज कुछ दिनों के लिए बादलों में छिप गया..!! अखिलेश यादव मुख्यमंत्री हुए..उस वक्त सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, उत्तर प्रदेश में निदेशक के पद पर पीसीएस से आईएएस हुए एक शानदार अधिकारी निदेशक हुआ करते थे। जब कि ए०डी० के पद पर एक और विनम्र कवि हृदय पीसीएस अधिकारी थे जो बाद में आईएएस बने और कुछ माह पहले ही रिटायर हुए हैं।
दुर्भाग्यपूर्ण यह रहा कि 27 अगस्त, 2013 से मुजफ्फरनगर में दंगे शुरू हो गये। यह दंगा मुजफ्फरनगर जिले के कवाल गाँव में हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच हुई झड़पों के बाद भड़का था।
इस दंगे में 65 लोगों की जान गई थी और 93 लोग घायल हुए थे। दंगा नियंत्रित करने के लिए सेना बुलाई गई और 17 सितंबर को दंगा प्रभावित क्षेत्रों से कर्फ्यू हटा लिया गया था और सेना वापस बुला ली गई थी। .."लंबी कहानी" अब यहां से शुरू होती है...!
सूचना विभाग में तैनात उक्त दोनों जहीन अधिकारियों पर सरकार का जबरदस्त दबाव था कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया में सरकार के खिलाफ चल रही जबरदस्त निगेटिव खबरों को रोका जाए...!! इसी बीच दिल्ली से प्रकाशित एक अंग्रेजी व हिंदी साप्ताहिक मैग्जीन, जिसकी उस वक्त जबरदस्त प्रसार संख्या हो गई थी (मैं भी दिल्ली में इस मैग्जीन में 2000 से 2003 तक कार्यरत रहा) ने सूचना ने 9 लाख का इंपैक्ट फीचर लिया और जिस अंक में यह इंपैक्ट फीचर छपा उसी अंक में अखिलेश यादव को फ्रंट पर ड्रैकुला की तरह छापा गया और अंदर कवर स्टोरी थी..!!! मामला जबरदस्त बिगड़ गया...!!!
अब मीडिया को सहेजने की योजना बनी और उक्त दोनों अधिकारियों ने न्यूज चैनलों को सरकारी योजनाओं के विज्ञापन बनाने और चलाने की एक योजना बनाई ...इसके लिए प्रोडेक्शन हाउस भी हायर किये गये। यहीं से न्यूज चैनलों के लिए जबरदस्त आर्थिक संसाधन बटोरने का खेल देश में पहली बार आरंभ हुआ..!! एक-एक चैनल महीने में 20-20, 30-30 ऐड फिल्में बनाने लगा। एक मानीटरिंग सेल एनेक्सी में बना...!!! इसी बीच एक दिन मैंने सुबह-सुबह 6 बजे मुख्यमंत्री के पर्सनल नंबर पर Call किया..।
मुख्यमंत्री जी ने फोन उठाया और अगले दिन 9 बजे मुझे अपने आवास 5 कालिदास मार्ग बुलाया..!! बातों-बातों में अखिलेश जी ने कहा कि पवन "लंबू" को लाने की सोच रहा हूं..कैसा रहेगा..!!! मेरे मुंह से निकला कि अच्छा रहेगा..!! मैं 5, कालिदास से निकला और सीधे सूचना एवं जनसंपर्क विभाग आ गया...यहां सूचना विभाग के दोनों अफसरों को बताया कि ऐसी-ऐसी बात हुई है...!! तुरंत इन दोनों अफसरों से तय किया कि जिस दिन "लंबाई" आई उसी दिन वे लोग विभाग से चले जायेंगे...!! 10 दिन बाद लंबाई पर छाया बादल छंटा और रोशनी निकली...उसके कुछ ही दिनों बाद तत्कालीन निदेशक सूचना और ए0डी0 दोनों विभाग से चले गये...
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