img

Up Kiran, Digital Desk: कैमूर जिले से एक बड़ी राजनीतिक घटना सामने आई है। चैनपुर विधानसभा क्षेत्र के जदयू नेता आलोक सिंह ने आज बसपा में शामिल होने का ऐलान किया। बसपा में शामिल होते ही उन्होंने कैमूर जिले में अपने समर्थकों के बीच जोरदार स्वागत किया। आलोक सिंह इससे पहले निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चैनपुर विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं, और अब खबरें आ रही हैं कि वह आगामी चुनावों में बसपा के टिकट पर चैनपुर विधानसभा से फिर से मैदान में उतर सकते हैं।

सरकार पर निशाना: अपराध और रोजगार को लेकर उठाए सवाल

बसपा में शामिल होने के साथ ही आलोक सिंह ने बिहार सरकार को आड़े हाथों लिया। खासकर बढ़ते अपराध और रोजगार की घटती संभावनाओं को लेकर उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "बहुजन समाज पार्टी हमेशा शोषित वर्ग, दलितों, गरीबों और मजदूरों के हक की बात करती है। हम पहले जदयू में थे, लेकिन अब जो सरकार का हाल है, उससे साफ है कि अपराध और विकास दोनों ही मामलों में स्थिति बदतर हो गई है।"

आलोक सिंह ने चैनपुर विधानसभा क्षेत्र का हवाला देते हुए कहा, "यहां के मंत्री ने क्षेत्र में कोई विकास नहीं किया। सड़क, बिजली, पानी की तो बात ही छोड़िए, लोग पानी के लिए 5 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर जाने को मजबूर हैं।"

लॉ एंड ऑर्डर पर सवालिया निशान

आलोक सिंह ने बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, "बीते कुछ समय में बिहार में लगातार हत्याएं हो रही हैं। हाल ही में खेमका जी की हत्या हुई, और अब पटना में एक व्यापारी की हत्या हो गई है। यह साफ तौर पर दिखाता है कि सरकार कानून-व्यवस्था कायम रखने में पूरी तरह से नाकाम रही है। बिहार में अब 'जंगलराज' जैसी स्थिति हो गई है, जहां लोग कहीं भी मारे जा रहे हैं। मुख्यमंत्री इस पर कोई नियंत्रण नहीं रख पा रहे हैं।"

बेरोजगारी पर भी उठाए सवाल

बेरोजगारी को लेकर आलोक सिंह ने सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, "हमारे प्रदेश में रोजगार सृजन के लिए किसी ठोस कदम का उठाया जाना तो दूर, यहां कोई नई फैक्ट्री भी नहीं लगी है। जब कैमूर जिले के मा मुंडेश्वरी धाम में रोपवे शुरू करने की घोषणा की गई थी, तो उम्मीद थी कि यहां पर कुछ होगा, लेकिन अब तक वहां सिर्फ शिलान्यास हुआ है, काम कुछ नहीं हुआ।"

आलोक सिंह ने आरोप लगाया कि चैनपुर के वर्तमान प्रतिनिधि या तो इस दिशा में कोई दिलचस्पी नहीं रखते, या फिर उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

--Advertisement--