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Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक सरकार द्वारा गैर-इलेक्ट्रिक बाइक टैक्सी पर लगाए गए प्रतिबंध ने एक बड़े डिजिटल विद्रोह को जन्म दे दिया है। हज़ारों यात्री और ड्राइवर इस फैसले के खिलाफ ऑनलाइन लामबंद हो गए हैं, और उनका कहना है कि यह फैसला "प्रतिगामी" है और आम आदमी की जेब पर सीधा हमला है।

इस विरोध का केंद्र 'नम्मा बाइक टैक्सी बेकू' (हमें हमारी बाइक टैक्सी चाहिए) नाम का एक ऑनलाइन आंदोलन बन गया है। इस आंदोलन के तहत Change.org पर शुरू की गई एक याचिका पर अब तक 50,000 से ज़्यादा लोग हस्ताक्षर कर चुके हैं। इस याचिका में सरकार से प्रतिबंध हटाने की मांग की गई है।

आम जनता क्यों है नाराज़?

लोगों का कहना है कि बाइक टैक्सी उनके लिए परिवहन का एक सस्ता और सुविधाजनक साधन है, खासकर मेट्रो स्टेशनों और बस स्टॉप से घर या ऑफिस तक की 'आखिरी मील कनेक्टिविटी' के लिए। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि इस बैन से:

याचिका शुरू करने वाले टी.एम. अभिराम ने कहा, "यह फैसला बिना जनता की राय लिए, कुछ समूहों के दबाव में लिया गया है। यह उन लाखों लोगों की ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ करता है जो रोज़ाना इस सेवा पर निर्भर थे।"

सोशल मीडिया पर भी यह गुस्सा साफ दिख रहा है, जहाँ लोग सरकार की आलोचना कर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि जनता के लिए सस्ती और सुलभ परिवहन सेवा को क्यों छीना जा रहा है। यह डिजिटल विद्रोह दिखाता है कि जब नीतियां आम लोगों की ज़रूरतों से मेल नहीं खातीं, तो उनकी आवाज़ को दबाया नहीं जा सकता।

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