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भारत की प्रमुख चमड़ा उत्पादन इकाई कानपुर इन दिनों भारी संकट का सामना कर रही है। अमेरिका द्वारा हाल ही में चमड़ा उत्पादों पर आयात शुल्क (टैरिफ) में बढ़ोतरी किए जाने के चलते यहां से होने वाला लगभग 2000 करोड़ रुपये का निर्यात ठप हो गया है।

इस अप्रत्याशित निर्णय का सीधा असर कानपुर की चमड़ा इंडस्ट्री पर पड़ा है, जहां हजारों छोटे-बड़े उद्योग और लाखों मजदूर रोजगार से जुड़े हैं। टैरिफ बढ़ने के कारण कई शिपमेंट्स को या तो रोका गया है या फिर रद्द कर दिया गया है, जिससे उद्योगपतियों को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

कानपुर के चमड़ा निर्यातकों का कहना है कि अमेरिका इस उद्योग के सबसे बड़े ग्राहकों में से एक है। लेकिन अब आयात महंगा होने की वजह से अमेरिकी कंपनियों ने अपने ऑर्डर या तो होल्ड पर रख दिए हैं या चीन और पाकिस्तान जैसे प्रतिस्पर्धी देशों की ओर रुख कर लिया है। इससे भारत की बाजार हिस्सेदारी कम हो सकती है और प्रतिद्वंद्वी देशों को फायदा मिल सकता है।

औद्योगिक संगठनों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि इस मामले को राजनयिक स्तर पर अमेरिका के साथ उठाया जाए और राहत पैकेज दिया जाए ताकि उद्योग को बचाया जा सके।

चमड़ा क्लस्टर से जुड़े एक व्यापारी ने कहा, "हमारा प्रोडक्शन तैयार है लेकिन ऑर्डर फंसे हुए हैं। फैक्ट्री बंद करनी पड़ी तो हज़ारों लोगों का रोजगार जाएगा।"

अब सरकार पर दबाव है कि वह तेजी से कदम उठाए और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए नीतिगत सहायता दे।
 

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