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बीते साल बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से बांग्लादेश और भारत के बीच संबंध निरंतर खराब होते जा रहे हैं। बांग्लादेश में कार्यवाहक सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस निरंतर भारत विरोधी गतिविधियों को मजबूत करने के लिए कदम उठा रहे हैं। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर निरंतर हमले हो रहे हैं। इस बीच, बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस सरकार ने भी अब कुछ इसी तरह के कदम उठाए हैं। इससे दोनों देशों के बीच संबंध बिगड़ने की संभावना पैदा हो गई है। उन्होंने बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीब उर रहमान और तत्कालीन भारतीय पीएम इंदिरा गांधी के बीच हुए समझौते को तोड़ दिया है।

इस संबंध में सामने आ रही रिपोर्टों के अनुसार, बांग्लादेश दक्षिण त्रिपुरा में मुहुरी नदी के पास एक बांध का निर्माण कर रहा है। यह बांध 1.5 किलोमीटर लंबा और 20 फीट ऊंचा है।   इस बांध से भारत की सीमा के भीतर के क्षेत्र को बड़ा खतरा उत्पन्न होने की संभावना है। साथ ही, बांग्लादेश द्वारा उठाए गए इस कदम से स्थानीय लोगों में भी चिंता पैदा हो गई है। इस क्षेत्र के स्थानीय विधायक दीपांकर सेन ने इस संबंध में आवाज उठाई है और केंद्रीय गृह मंत्रालय से हस्तक्षेप कर तत्काल कदम उठाने की मांग की है।

दीपंकर सेन ने कहा कि बांग्लादेश के गठन के समय मुजीब उर रहमान और भारतीय पीएम इंदिरा गांधी के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। इस समझौते के अनुसार ये फैसला लिया गया कि सीमा पर शून्य रेखा के 150 गज के भीतर कोई निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा। हालाँकि, बांग्लादेश द्वारा अब जो बांध बनाया जा रहा है वो सरहद पर शून्य रेखा से केवल 50 गज की दूरी पर है। कई स्थानों पर यह दूरी मात्र 10 गज है।

इससे पहले त्रिपुरा में ऐसी परियोजनाएं इंदिरा गांधी और मुजीब के बीच हुए समझौते के कारण ही रद्द कर दी गई थीं। हालांकि, सेन ने इल्जाम लगाया कि अब बांग्लादेश जानबूझकर इन बांधों का निर्माण कर रहा है।

दक्षिण त्रिपुरा के पुलिस आयुक्त सी. सेन ने कहा कि बांग्लादेश इस परियोजना पर तेजी से काम कर रहा है। इसके अलावा नेताजी सुभाष चंद्र नगर, जिस क्षेत्र में यह बांध बनाया जा रहा है, इसमें 500 से ज्यादा परिवार रहते हैं।