Up Kiran, Digital Desk: जब भी हम बढ़ते वायु प्रदूषण की बात करते हैं, तो आमतौर पर हमारा ध्यान फेफड़ों, खांसी, आंखों में जलन या सांस लेने में होने वाली तकलीफ तक ही सीमित रहता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हवा में घुलता यह धीमा ज़हर आपके दिल और फेफड़ों के साथ-साथ आपके दिमाग को भी चुपके से बीमार बना रहा है? नई रिसर्च और डॉक्टर लगातार इस बात को लेकर चेतावनी दे रहे हैं कि वायु प्रदूषण हमारी याददाश्त, सोचने-समझने की शक्ति और बच्चों के दिमागी विकास पर सीधा हमला कर रहा है।
यह एक ऐसा अदृश्य खतरा है जिससे बच पाना लगभग नामुमकिन है, क्योंकि हम दिन में औसतन 20,000 बार सांस लेते हैं और हर सांस के साथ जहरीले कण हमारे शरीर में प्रवेश कर रहे हैं।
कैसे पहुंचता है प्रदूषण दिमाग तक?
वायु प्रदूषण में सबसे घातक होते हैं PM2.5 जैसे अति सूक्ष्म कण। ये इतने छोटे होते हैं कि सांस के जरिए हमारे फेफड़ों में गहराई तक जाकर आसानी से खून में घुल जाते हैं। एक बार खून में मिलने के बाद, ये कण शरीर के हर अंग तक पहुंच जाते हैं, जिसमें हमारा दिमाग भी शामिल है। इसके अलावा, कुछ कण नाक के रास्ते सीधे दिमाग से जुड़ी नसों (Olfactory Nerve) के जरिए भी ब्रेन में दाखिल हो सकते हैं, जो और भी खतरनाक है।
दिमाग पर वायु प्रदूषण के ये हैं 5 गंभीर असर
एक बार दिमाग में पहुंचने के बाद, ये जहरीले कण कई तरह से नुकसान पहुंचाते हैं:
अपने दिमाग को प्रदूषण से कैसे बचाएं?
हालांकि वायु प्रदूषण से पूरी तरह बचना मुश्किल है, लेकिन कुछ आसान तरीके अपनाकर हम इसके प्रभाव को काफी हद तक कम कर सकते हैं:
याद रखिए, वायु प्रदूषण अब सिर्फ एक पर्यावरणीय समस्या नहीं, बल्कि एक गंभीर स्वास्थ्य संकट है। इसके प्रति जागरूक रहकर ही हम अपने और अपने परिवार के दिमाग को सुरक्षित रख सकते हैं।




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