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कांग्रेस पार्टी एक बार फिर संगठनात्मक बदलाव की ओर कदम बढ़ा रही है। आगामी अप्रैल में होने वाले अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) सेशन में पार्टी अपने संविधान में संशोधन करने जा रही है, और इसका मकसद पार्टी की चुनावी तैयारियों को और सशक्त बनाना है। इस संशोधन के जरिए कांग्रेस एक नई और प्रभावशाली 'इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी' के गठन का प्रस्ताव पास कर सकती है, जो आगामी चुनावों के लिए रणनीति तय करेगी।

चुनावी निर्णय प्रक्रिया को मिलेगा नया ढांचा

कांग्रेस में अब तक चुनावों से जुड़ी नीतियां और फैसले मुख्य रूप से कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) के जरिए लिए जाते रहे हैं, जो पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली इकाई है। लेकिन अब पार्टी एक ऐसी कमेटी गठित करने जा रही है, जो पूरी तरह से चुनावी रणनीति, प्रचार अभियान, गठबंधन जैसे अहम मुद्दों पर केंद्रित होगी। यह नई समिति कांग्रेस की चुनावी निर्णय प्रक्रिया को अधिक व्यवस्थित और प्रभावशाली बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

चूंकि कांग्रेस के मौजूदा संविधान में इस तरह की समिति का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए अप्रैल में होने वाले एआईसीसी सत्र में इसे औपचारिक रूप से स्वीकृति दी जाएगी। यह समिति चुनाव के दौरान पार्टी के दिशा-निर्देश तय करेगी, साथ ही चुनावी नैरेटिव गढ़ने और गठबंधनों की दिशा तय करने जैसे बड़े फैसले लेगी।

अनुभवी नेताओं को मिलेगी कमान

सूत्रों की मानें तो इस नई समिति में ऐसे नेताओं को शामिल किया जाएगा जिनके पास चुनावी राजनीति का लंबा अनुभव है। कांग्रेस की योजना है कि वह इस समिति में केवल वही नेता शामिल करे जो जमीनी स्तर पर चुनावी समझ और रणनीति को प्रभावी रूप से लागू कर सकें।

माना जा रहा है कि वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक इस नई समिति के संयोजक बन सकते हैं। वासनिक लंबे समय से पार्टी संगठन में सक्रिय हैं और उन्हें रणनीतिक योजनाओं को लागू करने का व्यापक अनुभव है। साथ ही राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी इस समिति में अहम भूमिका मिल सकती है। उनका प्रशासनिक अनुभव और जमीनी पकड़ चुनावी रणनीति को मजबूत बनाने में सहायक हो सकती है।

प्रियंका गांधी के नेतृत्व को लेकर भी चर्चा

इस समिति के नेतृत्व को लेकर कांग्रेस के अंदर अलग-अलग विचार सामने आ रहे हैं। कई नेता चाहते हैं कि प्रियंका गांधी वाड्रा इस समिति की जिम्मेदारी संभालें, ताकि पार्टी को एक दमदार चेहरा मिल सके जो युवाओं और महिलाओं दोनों के बीच अपील रखती हैं। हालांकि, इस संबंध में अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और यह देखना बाकी है कि प्रियंका गांधी की भूमिका क्या तय होती है।

संविधान संशोधन से संगठन को नई दिशा

कांग्रेस का यह कदम पार्टी के चुनावी ढांचे में सुधार की दिशा में एक गंभीर पहल है। लंबे समय से कांग्रेस पर यह आरोप लगता रहा है कि उसकी चुनावी रणनीतियां समय से पहले तैयार नहीं हो पातीं या उनमें समन्वय की कमी होती है। इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी का गठन इस कमी को दूर करने की कोशिश है।

अगर यह समिति वाकई प्रभावी साबित होती है तो यह कांग्रेस को भविष्य के चुनावों में अधिक संगठित, समन्वित और तेज़ निर्णय लेने वाली पार्टी के रूप में स्थापित कर सकती है। यह बदलाव सिर्फ एक संगठनात्मक ढांचे का नहीं बल्कि पार्टी की कार्यशैली में बदलाव का प्रतीक बन सकता है।