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Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन ने सीटों के बंटवारे को लेकर लगभग सहमति बना ली है। सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को 125 सीटें, कांग्रेस को 55 से 57 सीटें, वाम दलों को 35 सीटें, वीआईपी पार्टी को 20 सीटें, पशुपति पारस को तीन और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को दो सीटें दी गई हैं।

लेकिन तस्वीर इतनी साफ भी नहीं है। सीटों की संख्या को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच मतभेद अब खुलकर सामने आने लगे हैं।

कांग्रेस की डिमांड: 78 सीटें या गठबंधन पर पुनर्विचार?

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पिछली बार की तुलना में वह इस बार ज्यादा सीटें चाहती है। पार्टी ने अपने प्रदर्शन के आधार पर तीन वर्गों में सीटों की मांग रखी है:

श्रेणी A: वो सीटें जहाँ कांग्रेस 5,000 से 10,000 वोटों से हारी थी

श्रेणी B: 10,000 से 15,000 वोटों से हारी सीटें

श्रेणी C: 15,000 से 20,000 वोटों से हारी सीटें

कुल मिलाकर कांग्रेस का लक्ष्य है कि उसे कम से कम 78 सीटें मिलें। लेकिन तेजस्वी यादव इससे सहमत नहीं हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि राजद कांग्रेस को 48 से ज़्यादा सीटें देने के मूड में नहीं है।

पटना से कांग्रेस का सफाया?

कांग्रेस इस बार पटना जिले की सभी सीटों से पीछे हट सकती है। पिछले चुनाव में उसने यहां चार सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन अब वो किसी पर दावा नहीं कर रही। यही नहीं, कुछ मौजूदा सीटें भी पार्टी के हाथ से फिसल सकती हैं।

उदाहरण के लिए, वैशाली की राजा पाकर सीट, जहाँ से वर्तमान विधायक प्रतिमा सिंह हैं, अब राजद के उम्मीदवार शिवचंद्र राम को दी जा सकती है।