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Up Kiran, Digital Desk: बिहार में सरकारी आवासों का मुद्दा अब नए विवाद का कारण बन गया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने बिहार सरकार पर सवाल उठाते हुए बताया कि किस आधार पर जनता दल (यूनाइटेड) के दो सांसदों को सरकारी आवास दिए गए हैं। राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवल किशोर यादव ने इस संबंध में बिहार के भवन निर्माण विभाग को एक पत्र भेजा है।

राजद का सवाल: क्यों नहीं छोड़ा गया सरकारी आवास?
राजद ने पत्र में यह सवाल उठाया है कि राज्यसभा सदस्य संजय झा और लोकसभा सदस्य देवेश चंद्र ठाकुर जैसे सांसदों को अब तक सरकारी आवास क्यों दिया जा रहा है। उनका कहना है कि इन सांसदों को सरकारी आवास उस वक्त आवंटित किए गए थे, जब वे मंत्री या सभापति के पद पर थे, लेकिन अब पद परिवर्तन के बाद भी यह आवास खाली नहीं किए गए हैं। पार्टी का यह भी आरोप है कि क्या इन सरकारी बंगलों पर कब्जा बनाए रखने के पीछे राजनीतिक दबाव का हाथ है।

सत्ता और विपक्ष के बीच नया विवाद
राजद का कहना है कि सरकारी संपत्तियों का उपयोग पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बिहार सरकार इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट नहीं कर रही है। इस मामले में राजद ने राज्य के भवन निर्माण विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए हैं। राजद के प्रवक्ता नवल किशोर यादव ने कहा कि अगर किसी को सरकारी आवास आवंटित किया जाता है तो उसे निर्धारित समय सीमा में खाली कर देना चाहिए, लेकिन यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो यह नियमों का उल्लंघन है।

राबड़ी देवी के सरकारी आवास का विवाद
इस विवाद का असर बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सरकारी आवास को लेकर भी देखा जा रहा है। भवन निर्माण विभाग ने उन्हें 10 सर्कुलर रोड स्थित सरकारी आवास खाली करने का नोटिस भेजा था, और उनके लिए नया आवास 39 हार्डिंग रोड पर आवंटित किया गया था। लेकिन राबड़ी देवी ने नए सरकारी आवास में जाने के बजाय अपने निजी घर में शिफ्ट होने का निर्णय लिया है। इस निर्णय ने भी सरकार और विपक्ष के बीच नए सिरे से बहस को जन्म दिया है।

राजद का दृष्टिकोण
राजद के अनुसार, सरकारी आवासों का उपयोग केवल कानूनी और नियमों के अनुसार होना चाहिए, और किसी भी तरह के विशेषाधिकार को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। पार्टी ने यह भी कहा कि अगर कोई सार्वजनिक व्यक्ति पद परिवर्तन के बाद भी सरकारी आवास का उपयोग करता है, तो यह व्यवस्था में असंतुलन पैदा कर सकता है।