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Up Kiran, Digital Desk: सोना हमेशा से भारतीयों के दिल में खास स्थान रखता है, लेकिन बढ़ती कीमतों की वजह से सोने की खरीदारी में थोड़ी कमी आई है। 2025 के पहले हिस्से में सोने की कीमतों में भारी उछाल आया है, जिससे जूलरी बाजार में कमी देखी जा रही है। हालांकि, इसके बावजूद काजगी सोने की मांग लगातार बरकरार है। सोने की खरीदारी में गिरावट आई है, लेकिन गोल्ड ईटीएफ (Exchange-Traded Fund) की बढ़ती मांग एक नई कहानी बयां कर रही है।
गोल्ड ईटीएफ: निवेशकों का नया रुझान
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के हालिया आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2025 में भारत के गोल्ड ईटीएफ में 23.3 करोड़ डॉलर का शुद्ध निवेश हुआ, जो जुलाई में हुए 13.9 करोड़ डॉलर से 67 प्रतिशत अधिक है। यह भारत में गोल्ड ईटीएफ के प्रति निवेशकों की बढ़ती रुचि को दर्शाता है, जो कि वैश्विक स्तर पर लगातार तीसरे महीने और भारत में चौथे महीने हो रहा है। इस निवेश प्रवृत्ति से यह स्पष्ट हो रहा है कि लोग सोने को सुरक्षित निवेश के रूप में देख रहे हैं।
2025 के अधिकांश महीनों में गोल्ड ईटीएफ में निवेश बढ़ा है, सिवाय मार्च और मई के। आईबीजेए के आंकड़ों के अनुसार, इस समय 24 कैरेट सोने की कीमत 10,634 रुपये प्रति ग्राम के करीब पहुंच गई है। गोल्ड ईटीएफ में अब तक का कुल निवेश 1.23 अरब डॉलर हो चुका है, जो पिछले वर्ष 2024 के कुल निवेश 1.29 अरब डॉलर के करीब है। 2023 में भारत ने गोल्ड ईटीएफ के माध्यम से 31 करोड़ डॉलर का निवेश आकर्षित किया, जो 2022 में 3.3 करोड़ डॉलर से काफी अधिक था।
क्या है गोल्ड ईटीएफ का आकर्षण?
विश्लेषकों का मानना है कि गोल्ड ईटीएफ में निवेश बढ़ने के पीछे मुख्य कारण वैश्विक व्यापार और भू-राजनीतिक अस्थिरता के कारण इक्विटी बाजारों में कमजोरी है। सोने की कीमतों में इस साल 35 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है, जो 22 अप्रैल को 3,500 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। यह उछाल तब आया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल की आलोचना की थी, जिससे शेयर बाजार में गिरावट आई। इसके बाद से निवेशक सोने जैसे सुरक्षित निवेश की ओर रुख कर रहे हैं।
गोल्ड ईटीएफ निवेशकों को भौतिक सोने की तुलना में कम लागत, तरलता और स्टोर करने में सुविधा प्रदान करते हैं, जिससे इसमें निवेश करना और भी आकर्षक हो जाता है।
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