Up Kiran, Digital Desk: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को शनिवार (20 दिसंबर) को तोशाखाना 2 भ्रष्टाचार कांड में जवाबदेही अदालत द्वारा 17-17 साल की जेल की सजा सुनाए जाने से करारा झटका लगा है। रावलपिंडी की किलेबंद अडियाला जेल में सुनाए गए इस फैसले में दंपति पर सऊदी अरब से प्राप्त विलासिता के उपहारों को कम कीमत पर बेचकर सरकार को धोखा देने का आरोप लगाया गया है। इस नवीनतम सजा से खान की कानूनी मुश्किलें और बढ़ गई हैं, जिससे संभावित चुनावों से पहले राजनीतिक उथल-पुथल और तेज हो गई है।
फैसला उच्च सुरक्षा वाली जेल में सुनाया गया
विशेष अदालत के न्यायाधीश शाहरुख अर्जुमंद ने अडियाला जेल में कड़ी सुरक्षा के बीच फैसला सुनाया, जहां खान को 2023 में उनकी गिरफ्तारी के बाद से ही रखा गया है। पूर्व प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी, जो पहले से ही जेल में हैं, को आपराधिक विश्वासघात के लिए पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 409 के तहत 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत उल्लंघन के लिए अतिरिक्त सात साल की सजा भी दी गई। अदालत ने दोनों पर 10 मिलियन रुपये का जुर्माना भी लगाया, जो इस मामले की गंभीरता को दर्शाता है, जिसने पूरे देश का ध्यान खींचा है।
तोशाखाना 2 का संदर्भ राजकीय उपहार प्रोटोकॉल पर केंद्रित है, जिसके तहत सार्वजनिक अधिकारियों को विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से प्राप्त मूल्यवान वस्तुओं को नीलामी या आधिकारिक उपयोग के लिए राष्ट्रीय भंडार में जमा करना होता है। अभियोजकों ने आरोप लगाया कि खान और बीबी ने खामियों का फायदा उठाते हुए भारी छूट पर उच्च मूल्य की वस्तुएं प्राप्त कीं और उन्हें बेचकर मुनाफा कमाया, जिसे सार्वजनिक विश्वास का उल्लंघन माना गया।
मुख्य आरोप: सऊदी उपहारों को लेकर धोखाधड़ी
इस मामले के केंद्र में सऊदी सरकार द्वारा 2021 में भेजे गए कीमती उपहारों की खेप है, जिसमें गहनों और महंगी घड़ियों सहित सरकारी उपयोग के लिए भेजे गए उपहार शामिल हैं। जांचकर्ताओं का दावा है कि दंपति ने तोशाखाना से इन वस्तुओं को कम कीमत पर खरीदा और फिर उन्हें निजी लाभ के लिए बेचकर लाखों की अवैध कमाई की। यह तोशाखाना के एक पुराने मामले की तरह ही है, जिसमें खान को 14 साल की सजा सुनाई गई थी, और अब इन नए दंडों से सजा और भी बढ़ गई है। आलोचक इसे खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी को निशाना बनाने की एक व्यापक साजिश का हिस्सा मानते हैं, जबकि अधिकारी इसे अभिजात वर्ग के भ्रष्टाचार पर कार्रवाई बताते हैं।
2022 में खान को सत्ता से हटाए जाने के बाद मुकदमा तेजी से आगे बढ़ा, जिसमें लेन-देन के रिकॉर्ड और गवाहों के बयानों सहित सबूतों ने जानबूझकर किए गए धोखे की तस्वीर पेश की। खान की आध्यात्मिक सलाहकार और बाद में पत्नी बनीं बुशरा बीबी को भी इन लेन-देन में उनकी भूमिका के लिए समानांतर जांच का सामना करना पड़ा, जिससे कानूनी लड़ाइयों में उनकी सबसे गहरी संलिप्तता सामने आई।
पीटीआई संस्थापक के लिए कानूनी लड़ाईयां बढ़ती जा रही हैं
इस फैसले से खान के खिलाफ चल रहे 200 से अधिक मामलों की सूची में एक और मामला जुड़ गया है, जिनमें सरकारी रहस्यों को लीक करने और दंगे भड़काने के आरोप शामिल हैं। उनके समर्थकों का मानना है कि इनमें से कई मामले सैन्य समर्थित प्रतिष्ठान द्वारा राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं। पीटीआई ने इन फैसलों को "न्यायिक हत्या" करार देते हुए उच्च न्यायालयों में अपील करने की कसम खाई है। 72 वर्षीय खान जेल से भी अपने रुख पर अड़े हुए हैं और इन सजाओं को भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के लिए मिली कुर्बानी बता रहे हैं, जिसने उन्हें 2018 में सत्ता तक पहुंचाया था।
सत्ता परिवर्तन का असर पाकिस्तान के ध्रुवीकृत परिदृश्य पर गहरा पड़ा है, जिससे पीटीआई की चुनावी रफ्तार धीमी पड़ गई है और विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। खान के सत्ता से बाहर होने के बाद, उनकी पार्टी अंतरिम नेतृत्व की ओर देख रही है, साथ ही उनकी वापसी को रोकने के लिए कार्रवाई की आशंका भी जताई जा रही है। मानवाधिकार समूह न्यायिक स्वतंत्रता के ह्रास की चेतावनी दे रहे हैं, क्योंकि देश आर्थिक संकट और सुरक्षा खतरों से जूझ रहा है।
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