
Up Kiran , Digital Desk:दुनियाभर में चल रही भू-राजनीतिक उथल-पुथल और कारोबारी अनिश्चितताओं के बीच एक बड़ी और राहत भरी खबर सामने आ रही है। कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरकर 4 साल के निचले स्तर पर आ गई हैं। वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड ऑयल का भाव 60 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे लुढ़क गया है। गुरुवार सुबह क्रूड ऑयल WTI 58.41 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार करता दिखा, जबकि ब्रेंट क्रूड का भाव 61.40 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा था। यह गिरावट उस दौर की याद दिलाती है जब एक समय क्रूड ऑयल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के पार चली गई थीं, जिसके चलते भारत जैसी कई अर्थव्यवस्थाओं पर भारी दबाव पड़ा था और सरकारी तेल कंपनियों को देश में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने पड़े थे।
पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच भारत के लिए अच्छी खबर
कच्चे तेल की कीमतों में आई यह भारी गिरावट भारत के लिए, खासकर मौजूदा समय में जब पाकिस्तान के साथ तनाव का माहौल है, एक बड़ी वित्तीय मजबूती प्रदान कर सकती है। भारत अपनी तेल जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है, इसलिए क्रूड ऑयल की कीमतों में नरमी सीधे तौर पर देश के आयात बिल को कम करती है और विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव घटाती है। कच्चे तेल की कीमतें देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को भी काफी हद तक प्रभावित करती हैं। मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए, तेल की कीमतों में फिलहाल बड़ी बढ़ोतरी के आसार भी नहीं दिख रहे हैं, जो कि एक सकारात्मक संकेत है। पिछले महज एक महीने में ही क्रूड ऑयल की कीमतों में लगभग 10 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट आई है, जिससे भारत के तेल आयात बिल में उल्लेखनीय कमी आई है।
क्या देश में सस्ता होगा पेट्रोल-डीजल?
कच्चे तेल की कीमतों में इस गिरावट के बाद अब यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या देश में पेट्रोल और डीजल के दाम कम होंगे? वर्तमान में, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गुरुवार को एक लीटर पेट्रोल 94.77 रुपये और डीजल 87.67 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है। वहीं, भारत में सबसे सस्ता पेट्रोल-डीजल पोर्ट ब्लेयर में मिल रहा है, जहाँ पेट्रोल की कीमत 82.46 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 78.05 रुपये प्रति लीटर है।
क्रूड ऑयल की कीमतें अब जिस स्तर पर आ गई हैं, उसे देखते हुए सरकार और तेल कंपनियों के पास पेट्रोल-डीजल के दाम घटाने की गुंजाइश बन सकती है। यह आम आदमी के लिए एक बड़ी राहत होगी। गौरतलब है कि भारत अपनी 85 फीसदी से अधिक तेल जरूरतों को आयात के माध्यम से पूरा करता है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय कीमतों का सीधा असर घरेलू बाजार पर पड़ता है।
--Advertisement--