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Up Kiran, Digital Desk: प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई से एग्रीगोल्ड घोटाले के लाखों पीड़ितों के लिए उम्मीद की एक बड़ी किरण जगी है। हैदराबाद की एक विशेष PMLA (मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम) अदालत ने ईडी द्वारा जब्त की गई एग्रीगोल्ड ग्रुप की 611.83 करोड़ रुपये की संपत्तियों की नीलामी का आदेश दिया है। नीलामी से मिलने वाली राशि का इस्तेमाल उन 32 लाख जमाकर्ताओं को मुआवजा देने के लिए किया जाएगा, जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई इस घोटाले में गंवा दी थी।

क्या था एग्रीगोल्ड घोटाला?
एग्रीगोल्ड ग्रुप ऑफ कंपनीज ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक समेत 7 राज्यों में लोगों को आकर्षक रिटर्न और जमीन देने का लालच देकर उनसे लगभग 6,380 करोड़ रुपये जमा करवाए थे। लेकिन बाद में कंपनी ने भुगतान करना बंद कर दिया, जिससे लाखों छोटे निवेशकों और आम लोगों की जमापूंजी फंस गई।

ईडी की कार्रवाई और अदालत का फैसला
इस मामले में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी। अपनी जांच में, ईडी ने पाया कि कंपनी के प्रमोटरों ने जनता के पैसे को अवैध रूप से दूसरी कंपनियों में लगाया और बड़ी मात्रा में संपत्ति खरीदी। इसके बाद ईडी ने कार्रवाई करते हुए घोटाले से जुड़ी कुल 4,149 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त कर लिया था।

अब, अदालत ने इसी जब्त संपत्ति में से 611.83 करोड़ रुपये की संपत्तियों को नीलाम करने का आदेश दिया है, ताकि पीड़ितों को उनका पैसा लौटाया जा सके। अदालत ने इन संपत्तियों की नीलामी की देखरेख के लिए एक समिति का गठन भी किया है, जिसकी अध्यक्षता एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश करेंगे।

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