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Up Kiran, Digital Desk: चल रहे संसद के मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session) के दौरान लगातार विरोध और हंगामे के बावजूद, बिहार की मसौदा मतदाता सूची (Draft Electoral Rolls for Bihar), जो 1 अगस्त को प्रकाशित हुई थी, के संबंध में किसी भी राजनीतिक दल ने कोई दावा या आपत्ति प्रस्तुत नहीं की है। यह जानकारी स्वयं भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India - ECI) ने दी है।  चुनाव आयोग ने यह भी आश्वासन दिया है कि अंतिम सूची से किसी भी पात्र मतदाता को बाहर नहीं किया जाएगा और किसी भी अपात्र नाम को शामिल नहीं किया जाएगा, जिससे निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके।

सार्वजनिक प्रतिक्रिया और चल रहा पुनरीक्षण

राजनीतिक दलों की ओर से आपत्तियों की कमी के बावजूद, ECI ने बताया कि उसे सीधे व्यक्तिगत मतदाताओं से मसौदा सूची के संबंध में 5,015 दावे और आपत्तियां प्राप्त हुई हैं। इसके अतिरिक्त, हाल ही में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र पूरी करने वाले नागरिकों द्वारा 27,517 नए आवेदन भी जमा किए गए हैं। यह दर्शाता है कि आम जनता अपनी भागीदारी के प्रति जागरूक है।

नियमों के अनुसार, ऐसे सभी दावों और आपत्तियों की संबंधित निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों (Electoral Registration Officers - EROs) या सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों (Assistant Electoral Registration Officers - AEROs) द्वारा समीक्षा की जाएगी और उन पर निर्णय लिया जाएगा, लेकिन यह प्रक्रिया अनिवार्य सात-दिवसीय प्रतीक्षा अवधि (Seven-Day Waiting Period) के बाद ही होगी। 

आयोग ने विशेष रूप से यह सुनिश्चित किया है कि 1 अगस्त को प्रकाशित मसौदा सूची से किसी भी नाम को ERO या AERO द्वारा औपचारिक जांच और "स्पष्टीकरण आदेश" (Speaking Order) जारी किए बिना हटाया नहीं जा सकता। यह मतदाताओं को बिना सुनवाई के हटाए जाने से बचाता है और पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।

विपक्ष के आरोप और सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप

बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) प्रक्रिया ने एक बड़ा राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया है। विपक्षी INDIA ब्लॉक ने आरोप लगाया है कि इस अभ्यास के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में मतदाताओं को सूची से हटाया जा सकता है। इसी आशंका के चलते विपक्षी दल संसद में लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, और मानसून सत्र के दौरान इस पुनरीक्षण प्रक्रिया पर चर्चा की मांग कर रहे हैं। वे इस मामले को लेकर केंद्र सरकार पर लगातार दबाव बना रहे हैं।

एक संबंधित घटनाक्रम में, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) द्वारा दायर एक नई याचिका पर निर्वाचन आयोग से 9 अगस्त तक जवाब मांगा है। NGO ने SIR प्रक्रिया के बाद मसौदा मतदाता सूची से कथित तौर पर बाहर किए गए 65 लाख मतदाताओं के विवरण की मांग की है।

NGO का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने अदालत को बताया कि यह स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है कि हटाए गए मतदाता मृत थे या स्थायी रूप से पलायन कर गए थे। न्यायमूर्ति सूर्यकांत (Justice Surya Kant), न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां (Ujjal Bhuyan) और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह (N Kotiswar Singh) की पीठ ने ECI को हटाए गए मतदाताओं का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, साथ ही यह भी कहा कि राजनीतिक दलों के साथ साझा किए गए डेटा की एक प्रति याचिकाकर्ता NGO को भी प्रदान की जाए।

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