
Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में विमानन क्षेत्र में सुरक्षा और गुणवत्ता को लेकर कई सवाल उठे हैं, विशेषकर कुछ हालिया घटनाओं के बाद। ऐसे में बोइंग के सीईओ (CEO) डेव कैलहौन ने कंपनी की सुरक्षा प्रतिबद्धता को दोहराया है और बताया है कि कैसे कंपनी हर घटना से सीखकर अपनी प्रक्रियाओं में सुधार करती है।
कैलहौन ने स्पष्ट किया है कि सुरक्षा बोइंग की सर्वोच्च प्राथमिकता है, और कंपनी किसी भी कीमत पर इससे समझौता नहीं करेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि बोइंग लगातार अपनी विनिर्माण प्रक्रियाओं (manufacturing processes), गुणवत्ता नियंत्रण (quality control) और प्रशिक्षण (training) को मजबूत कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसके विमान दुनिया में सबसे सुरक्षित रहें।
इस संदर्भ में, उन्होंने अतीत की घटनाओं और उनसे सीखे गए सबक का भी जिक्र किया। विशेष रूप से, 2010 में मंगलुरु (तत्कालीन मेंगलुरु) में हुए एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट AI812 के दुखद हादसे की जांच रिपोर्ट का हवाला दिया गया, जिसमें बोइंग 737-800 विमान रनवे से फिसलकर घाटी में गिर गया था, और 158 लोगों की जान चली गई थी। उस रिपोर्ट में मुख्य रूप से पायलट की गलती, अत्यधिक थकान और रनवे पर 'गो-अराउंड' (दोबारा लैंडिंग का प्रयास) न करने के गलत निर्णय को हादसे का कारण बताया गया था।
बोइंग ने हमेशा ऐसी जांचों में पूरा सहयोग दिया है और रिपोर्ट के निष्कर्षों को गंभीरता से लिया है। सीईओ कैलहौन ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट्स हमें अपनी तकनीक, प्रशिक्षण और सुरक्षा प्रोटोकॉल को और मजबूत करने में मदद करती हैं। उनका मानना है कि पारदर्शिता और हर गलती से सीखना ही आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका है।
कैलहौन ने दोहराया कि उनका लक्ष्य सुरक्षा और गुणवत्ता के मामले में 'अगले स्तर' तक पहुंचना है। इसमें आपूर्तिकर्ताओं (suppliers) की जवाबदेही तय करना, विनिर्माण प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ाना और आंतरिक निरीक्षण को और मजबूत करना भी शामिल है।
उनका बयान ऐसे समय में आया है जब वैश्विक स्तर पर विमानन सुरक्षा पर बारीकी से नजर रखी जा रही है, और यात्रियों का विश्वास बनाए रखना सभी विमानन कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण है। बोइंग का यह 'प्रोटोकॉल प्ले' दिखाता है कि वे अपनी प्रतिष्ठा और यात्रियों के विश्वास को बनाए रखने के लिए गंभीर हैं।
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